यहां खुले में शौच के लिए कुदाल या खुरपा ले जाने का नियम!
यहां खुले में शौच के लिए कुदाल या खुरपा ले जाने का है नियम!
सुनने में कुछ अजीब जरूर लगे लेकिन अगर आप के घर में शौचालय नहीं है तो आपको प्रतिदिन सुबह कंधे पर कुदाल रख कर शौच के लिए बाहर जाना है। पहले आपको खेत में गड्ढा खोदना पड़ेगा, फिर शौच के बाद उसे मिट्टी डाल कर ढकना भी होगा। दिलचस्प बात है कि उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के ग्राम भिटिया में रोजाना यह हंसी खुशी से हो रहा है। इस काम के लिए निगरानी टीम भी गठित है, जो खुले में शौच के लिए जाते व्यक्ति को साथ में कुदाल या खुरपा ले जाने की सलाह देती हैं। शुरू में तो इस काम को अपनाने वालों का फूल मालाओं से स्वागत भी किया जा चुका है। अब यह आदत बनती जा रही है।
भिटिया के ग्रामीणों ने इसक पालन भी शुरू कर दिया है। वह सुबह शौच के लिए खेत में गड्ढा बनाते हैं फिर शौच के बाद उस पर मिट्टी डालते हैं। दरअसल यह पहल स्वस्थ भारत-उन्नत भारत महाभियान के तहत जिले के ग्राम भिटिया में प्रयोग के तौर पर की गई है।
इस पहल के लिए चयनित ग्राम भिटिया में तीन तरह के लोग बाहर शौच को जाते हैं। एक तो जिनके पास टायलेट हैं, फिर भी उन्होंने बाहर शौच की आदत बना रखी है। उन्हें शौचालय के प्रयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिनके शौचालय टूटे हैं उन्हें मरम्मत के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिनके पास शौचालय नहीं हैं, उन्हें निर्माण तक कुदाल, खुरपे के उपयोग की सलाह दी जा रही है। स्वच्छता के इस अभियान के पीछे सरकारी उपक्रम स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण काम कर रहा है।
इस उपक्रम से जुड़े लागों ने पिछले पखवारे गांव में बैठक किया। टीम बनाई और कुदाल खुरपे के साथ शौच के लिए जाने वालों का फूल मालाओं से स्वागत भी किया। इस बारे में जिला परियोजना समन्वयक अमित श्रीवास्तव का कहना है कि इसके बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं। ग्रामीणों का सकरात्मक रुख देख कर भिटिया गांव के 20 ग्रामीणों को शौचालय के लिए 12 हजार रुपये की दर से अनुदान भी दिया गया है। जिसमें से 6 हजार रुपये की पहली किश्त दे दी गई है। आधी रकम निर्माण के बाद दी जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वच्छता समाज के लिए बहुत जरूरी है। इससे वातावरण साफ रहता है। बीमारियों पर अंकुश लगता है और खुले में शौच नहीं करने वाले का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। उन्होंने ग्रामीणों से खुले में शौच से बचने की अपील की है।