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बरौआ गांव में अब कोई नहीं पीता शराब

बरौआ गांव में अब कोई नहीं पीता शराब
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प्रदेश के लिए उदाहरण बना गांव

शराबबंदी से आई खुशहाली
कभी परचून की दुकानों पर बिकती थी शराब

राजेश शुक्ला/ग्वालियर। ...कौन कहता है,आसमान में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। शायर दुष्यंत का ये शेर बरौआ गांव के निवासियों पर सटीक बैठ रहा है। कभी इस गांव के नौजवान किराने की दुकानों में 24 घंटे बिकने वाली शराब का सेवन कर अपराध की सीढिय़ों पर चल रहे थे। आज इस गांव में होली से लेकर अब तक एक बूंद शराब की बिक्री नहीं हुई है। शराब की बिक्री बंद होने से झगड़े बंद हो गए हैं। गांव में शांति और भाईचारे का माहौल है। इसका पूरा श्रेय मोहन सिंह पटेल और उनके हमउम्र साथियों को जाता है। जिन्होंने गांव से शराब जैसी बीमारी को समाप्त करने का बीड़ा उठाया और सफलता प्राप्त की। वोटर लिस्ट में मात्र ढाई हजार और महिला ,बच्चों को मिलाकर कुल 4500 की (शेष पृष्ठ सात पर)

युवाओं को दिया परामर्श

दल ने गांव में शराबबंदी के बाद गांव के नौजवानों को समझाया और शराब के नुकसान बताये। वहीं शराब से होनी वाली हानियां और परिवार में कलह होने के बारे में बताया। युवाओं को दल की सलाह समझ में आई और उन्होंने कसम खाई की आज के बाद शराब को हाथ नहीं लगाएंगे। इसका सकारात्मक परिणाम सामने आया। होली के बाद से युवाओं ने शराब को हाथ तक नहीं लगाया है।

पंचनामा बनाया, पूरे गांव ने किए हस्ताक्षर

बरौआ गांव के निवासियों ने बाकायदा एक पंचनामा बनाया। इसमें पूरे गांव के लोगों ने हस्ताक्षर किए और शपथ ली कि समूचे बरौआ ग्राम की सीमा के अंदर शराब का सेवन और जुआ खेलने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। अगर किसी ने इसका उल्लघ्ंान किया तो उसे सजा मिलेगी। इसके लिए भी एक विशेष कमेटी बनाई गई।

Updated : 31 March 2016 12:00 AM GMT
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