प्रदेश के कई मंडलों में बनेंगी फोरेंसिक प्रयोगशाला

* आपदा पीडि़तों की पहचान में फोरेंसिक साइंस की भूमिका विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित
* बुंदेलखण्ड व पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय मथुरा मिलकर करेंगे काम

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मथुरा फोरेंसिक साइंस और कृषि विज्ञान के क्षेत्र के शोध और विकास के लिए आपस में मिल जुलकर कार्य करेंगे। इस संबंध में शीघ्र दोनों विश्वविद्यालयों के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर होंगे। यह जानकारी शुक्रवार को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में डा. एपीजे अब्दुल कलाम इंस्टीटयूट ऑफ फोरेंसिक साइंस एंड क्रिमिनोलॉजी के तत्चावधान में आपदा पीडि़तों की पहचान में फोरेंसिक साइंस की भूमिका विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में इन दोनों विश्वद्यिालयों के कुलपति ने संयुक्त रूप से दी। इसी मौके पर यह बताया गया कि उत्तर प्रदेश शासन ने कई मंडलों में फोरेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना का निर्णय लिया है। इसी निर्णय के तहत झांसी में भी एक प्रयोगशाला बनेगी।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, मथुरा के कुलपति प्रो. केएमएल पाठक ने कहा कि प्रगति के साथ साथ अपराध भी बढ़े हैं। ऐसे में फोरेंसिक साइंस की उपयोगिता भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाकर फोरेंसिक साइंस आपदा पीडि़तों को सही न्याय दिलाने में मददगार हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा का शिकार पशु और वन्य जीव भी होते हैं। उन्होंने केदारनाथ की आपदा का उदाहरण सामने रखते हुए कहा कि वहां भी बड़ी संख्या में पशुओं की जान गई। इससे जहां संपत्ति की हानि हुई, वहीं तमाम लोग जीविका के साधन से वंचित हुए। उन्होंने यूएई का उदाहरण रखते हुए यह बताया कि कैसे पशु विशेष के रखरखाव में फोरेंसिक साइंस की एक प्रविधि फिंगर पिं्रटिंग का इस्तेमाल कर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। उन्होंने शोध और प्रशिक्षण के क्षेत्र में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करने की इच्छा भी जताई। इसका मौके पर ही बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने अनुमोदन किया।
नोएडा के एमिटी विवि के इंस्टीटयूट ऑफ फोरेंसिक साइंस के निदेशक डा. एसके शुक्ल ने कहा कि फोरेंसिक साइंस उतनी ही पुरानी है जितनी मानव सभ्यता। अलबत्ता उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि इसका जितना विकास होना चाहिए था उतना नहीं हुआ। उन्होंने इसका कारण राजनेताओं की उदासीनता को ही बताया। डा. शुक्ल ने बताया कि सन 2004 में बनाए एक प्रोजेक्ट में हर जिले में फोरेंसिक लैब बनाने की बात कही थी, लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं हुआ है। उन्होंने कार्य संस्कृति बदलने पर जोर दिया।
उत्तर प्रदेश फोरेंसिक साइंस लैब लखनऊ के प्रमुख डा. एसबी उपाध्याय ने कहा कि जब भी कोई प्राकृतिक आपदा होती है तो फोरेंसिक साइंस की जरूरत पड़ती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसकी उपयोगिता को देखते हुए भविष्य में सभी विश्वविद्यालयों में इसकी पढ़ाई की व्यवस्था होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की पुलिस व्यवस्था में हर डीआईजी रेंज के स्तर पर एक फोरेंसिक लैब की स्थापना होगी। मई तक इन लैबों के काम शुरू हो जाने की संभावना है। उन्होंने विद्यार्थियों से क्षेत्र में आपदा होने की दशा में मौके पर जाकर व्यावहारिक ज्ञान लेने की अपील की। डा. ओपी जसुजा ने फोरेंसिक साइंस के व्यावहारिक पहलुओं को रेखांकित किया कि कैसे आपदा की दशा में इसकी विविध प्रक्रियाओं मसलन फिंगर प्रिंट, डीएनए आदि से पीडि़त को कैसे मदद दी जा सकती है।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने कहा कि यदि सरकार की मदद से विद्यार्थियों को मंडल स्तर की लैब में काम करने का मौका मिला तो यह स्थिति बेहतर होगी।
उन्होंने शोध और विकास के लिए पशु चिकित्सा विवि के साथ जल्द ही करार करने की बात कही। उन्होंने उम्मीद जताई कि फोरेंसिक साइंस का भविष्य में और उज्ज्वल होगा।
इससे पहले सम्मेलन के संयोजक डा. अंकित श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का गरमजोशी से स्वागत किया। उन्होंने सम्मेलन की रूपरेखा भी पेश की। इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप जलाया और उनके चित्र पर माल्यार्पण किया। सभी अतिथियों को बुके और स्मृति चिहन देकर सम्मानित किया गया। अंत में डा. विजय यादव ने आभार जताया।
इस कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रो. ओपीएस कंडारी, कुलानुशासक प्रो. एमएल मौर्य, डीएसडब्ल्यू प्रो. सुनील काबिया, कुलसचिव वीएन सिंह, प्रो. एसपी सिंह, प्रो. वीपी खरे, प्रो. यूपी सिंह, डा. डीके भटट, डा. अनु सिंगला, डा. रेखा लगरखा, डा. गजाला, डा. प्रदीप यादव, डा. प्रकाश चंद्र, डा. बालेंदु सिंह, डा. ओपी सिंह, डा.सीपी पैन्यूली, उमेश शुक्ल, सतीश साहनी समेत अनके लोग उपस्थित रहे। प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डा. एसबी उपाध्याय ने की। इस सत्र में डा.यूपी सिंह, डा. विक्रम आहूजा और डा. ओपी जसुजा ने व्याख्यान दिया।

Next Story