एसएसपी के हेलमेट अभियान को पलीता लगाने रहे पुलिसकर्मी

बुलन्दशहर। एसएसपी पीयूष श्रीवास्तव ने सड़क हादसों में हो रही दुपहिया सवारों की मौत को कम करने के लिए जनपद में हेलमेट पहनना लागू करने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया, जिसमें कई हजार वाहन चालकों के चालान भी काटे गए।
एसएसपी ने शुरूआत में चालान काटने की और हेलमेट पहनने की हिदायत सबसे पहले अपने विभाग से की। उसके बाद अभियान के तहत पत्रकार हो, वकील हो या व्यापारी, सभी के साथ एक जैसा व्यवहार किया और चालान काटकर सभी को हेलमेट पहनने की हिदायत दी, लेकिन अब हेलमेट अभियान के नाम पर पुलिसकर्मी जगह-जगह खड़े होकर हेलमेट ना पहनने वालों से सुविधा शुल्क वसूल करने लगे हैं। ऐसा नहीं कि सभी पुलिसकर्मी इसमें लिप्त हों। कल दोपहर के समय मऊखेड़ा फाटक के पास एक महिला दरोगा हेलमेट अभियान में अपने चन्द पुलिसकर्मियों के साथ चांदी काट रही थी। जिनके पास हेलमेट नहीं, उनसे सुविधा शुल्क, उनका साथी सिपाही उनकी आंखों के सामने ले रहा था। विभाग का कोई आदमी उधर से गुजर रहा था तो उसे स्टाफ के नाम पर हेलमेट न पहनने की सहमति भी प्रदान की जा रही थी, यानि कि उन्हें यूं ही छोड़ दिया जा रहा था। अब हेलमेट न पहनने वालों के साथ उत्पीडऩात्मक कार्रवाई शुरू हो गई है। हालांकि जनपद में ऐसे आरोप कई बार पुलिस विभाग में लगते रहे हैं परन्तु एसएसपी पीयूष श्रीवास्तव का यह हेलमेट अभियान रंग लेकर आया। 80 फीसदी दुपहिया वाहन चालकों के सिर पर हेलमेट दिखाई देने लगा है। इसमें पलीता लगाने में उनके चन्द पुलिसकर्मी भी पीछे नहीं हट रहे हैं। हेलमेट अभियान को अब वे कमाई का जरिया बना चुके हैं। ऐसा ही मामला कल जब दोपहर के समय महिला दरोगा जिप्सी में बैठकर हेलमेट न पहनने वालों से सौदेबाजी और जेबखर्ची लेने उनके सहकर्मी पर आरोप भी कई लोगों ने लगाए हैं। हालांकि पहले भी महिला दरोगा जब महिला सेल में कार्यरत थी तो तब भी पति पत्नी के विवाद की शिकायत पर फैसला कराने व लम्बी तारीखें लगाने को लेकर पैसे के लेनदेन के आरोप लगते रहे हैं।
शायद एसएसपी पीयूष श्रीवास्तव हेलमेट अभियान चलाकर भूल गए हैं, लेकिन उनकी बात को जनपद के लोगों ने सिर माथे रखा और उनके अभियान में जनपद के हर शख्स ने सहयोग किया। हेलमेट अभियान लगभग पूर्णत: सफलता की ओर है, लेकिन कमाई का जरिया बना चुके पुलिसकर्मियों को सख्ती से हिदायत न दी गई तो इस अभियान की हवा फुस्स हो जाएगी।
