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जनमानस

वैचारिक मतभेद की कथित पाकिस्तान परस्त नसीहत

सचमुच अनुपम खेर वीजा मामले में पाकिस्तान के पक्ष वाली धर्मनिरपेक्षता हमारे देश की घोर उपेक्षा में कथित नसीहत देते हुये सिर चढ़कर बोल रही है।कथित पाकिस्तान परस्ती में मदमस्तता ने ही कराची साहित्य उत्सव में हमारे देश के पहुँचे उन 17 लोगों को खामोश कर रखा है जो अनुपम खेर के प्रति पाकिस्तानी वीजा दुर्भावना के दुव्र्यवहार को सहन कर गये। वरिष्ठ स्तम्भकार मृणाल पांडे का आलेख एक अनुपम व्यथा कथा पढ़कर कोई भी इस आलेख को पाकिस्तान परस्त आलेख कहने से नहीं चूकेगा।मृणाल पांडे ने इस आलेख में लिखा है कि अनुपम खेर की पाकिस्तानी जनता और हुम्मरानो पर मोदी भक्त व एक भाजपा सांसद के पति होने की छाप लगी है और बॉलीवुड के चर्चित कलाकार होना भी उनके पाकिस्तान में विरोध का कारण है। जबकि लेखिका इस बात को भुला रहीं हैं कि पाकिस्तान में अचानक पहुँचे प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा ने पाकिस्तान के प्रति मोदी धारणा को बहुत हद तक ध्वस्त किया है और जनता ने इस यात्रा को जोर-शोर से सिर आँखों पर लिया है इसी प्रकार से बॉलीवुड के चर्चित कलाकार तो आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान भी हैं भला इनका विरोध पाकिस्तान में कहाँ होता है अत: अनुपम खेर की ऐसी ख्याति पर पाकिस्तान विरोध का औचित्य सिद्ध करना लेखिका मृणाल पाण्डे को गलत सिद्ध करता है। हमारे देश की प्रगतिशील जमात ने ऐसे दुव्र्यवहार से हमारे राष्ट्र को संसार में उपहास का पात्र ही बनाया है।दक्षिण पंथी होना व कश्मीर पंडितों की पीड़ा को व्यक्त करना यदि अनुपम खेर का अपराध है तब ऐसे अपराध को करोड़ों भारतीय सच्चे गर्व में ही जीते हैं। प्रगतिशील ताकतें अपनी प्रगतिशीलता में और कथित धर्म निरपेक्ष ताकतें अपनी धर्म निरपेक्षता में इस कदर बेईमान हो चुकी हैं कि उनकी समीक्षायें बौद्धिक अहंकार का पाप पोषित करती हुयी स्पष्ट निर्लज्जता को प्राप्त हो रहीं हैं। पाकिस्तान के साथ मधुर संबंधों में अटलबिहारी वाजपेयी की भाजपा भूमिका एक आदर्श उदाहरण है उसके बाबजूद भाजपा सांसद के पति होने के कारण अनुपम खेर को पाकिस्तान द्वारा वीजा न देने की कुतर्कपूर्ण व्याख्या प्रस्तुत की जा रही है। अनुपम खेर ने करोड़ों भारतीयों के दिल की बात को भारत की ठोस सहिष्णुता की अक्षुण्ण संस्कृति में रखने की जो बुलंदी प्राप्त की है उससे सीख लेने की जगह उल्टा उन्हें नसीहत दी जा रही है कि वे सिर्फ बॉलीवुड की अपनी कला धर्मिता से काम रखें मोदी की प्रशंसा न करें, हिन्दू होने का सच्चा भाव न जगायें, कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को भुलाकर खुद के कश्मीरी पंडित होने का बिल्कुल भी जिक्र न करें।ऐसी कथित पाकिस्तान परस्त नसीहत की तरह ही मोदी के गुजरात मुख्यमंत्री होने के समय अमेरिका परस्ती दिखायी गयी थी जिसमें चिठ्ठी द्वारा कहा गया था कि अमेरिका मोदी को वीजा न दे ऐसी घिनौनी साजिशी वैचारिकता आज बराक-मोदी के दोस्ताना संबंधों में मुँह की खाने को मजबूर हुयी है लेकिन फिर भी बेशर्मी जारी है।अनुपम खेर के साथ पूरा राष्ट्र खड़ा होना चाहिए था परंतु साथ की जगह विरोध में खड़े होकर खेर की खैर नहीं का नाद गंभीर चिंता का विषय है क्या प्रगतिशील व धर्म निरपेक्ष होने का तमगा लगाये लोग इस ईमानदारी को स्वीकारेंगें?
हरिओम जोशी

Updated : 8 Feb 2016 12:00 AM GMT
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