आंवले की बम्पर पैदावार पर खरीदारों का टोटा

अब आंवला के हाईब्रिड पौधे भी खरीदने को तैयार नहीं किसान
दिनेश शर्मा/ग्वालियर। आंवला का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है। आएगा भी क्यों नहीं। गुणों का भण्डार जो ठहरा। धातृ फल आंवला पाचन तंत्र से लेकर स्मरण शक्ति तक को दुरुस्त रखने के तमाम औषधीय गुण अपने आपमें समेटे हुए है। इससे प्रभावित होकर वन विभाग के अनुसंधान एवं विस्तार विभाग से लेकर ग्राम पंचायतों और किसानों तक ने बहुतायत में आंवला के बगीचे तैयार कर लिए, लेकिन अब विडम्बना यह है कि आज आंवला को खरीदने वाला कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में आंवला की पैदावार करने वाले किसान पश्चाताप के आंसू रो रहे हैं।
जानकारी के अनुसार अनुसंधान एवं विस्तार वन वृत्त ग्वालियर ने झांसी रोड स्थित अपनी नर्सरी 'तपोवन में देशी आंवला सहित इसके हाईब्रिड पौधे भी तैयार किए हैं, लेकिन पिछले दो सालों से इन पौधों को भी किसान खरीदने को तैयार नहीं हैं। यहां तक कि स्वयं वन विभाग भी ज्यादा संख्या में आंवला के पौधे नहीं लगा रहा है क्योंकि बाजार में आंवला फल की मांग न के बराबर है। इसका मूल कारण यह है कि ग्वालियर व चम्बल अंचल के आठ जिलों में आंवला उत्पाद की कोई फैक्ट्री नहीं है। हालांकि आंवला की खरीदारी के लिए मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान एवं विस्तार, वन वृत्त ग्वालियर ने पतंजलि व डाबर सहित अन्य आंवला उत्पाद फैक्ट्री वालों से सम्पर्क किया, लेकिन उन सभी का एक ही जवाब था कि उनके अपने क्षेत्रों में ही आंवला का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में होता है।
हम तो दस रुपए प्रतिकिलो में बेच रहे हैं
वन विभाग की नर्सरी 'तपोवन में आंवला के करीब एक हजार वृक्ष मौजूद हैं, जो वर्तमान में फलों से लदे हुए हैं, लेकिन इन फलों को खरीदने वाला कोई नहीं है। हालत यह है कि वृक्षों के नीचे आंवला फलों की चादर सी बिछी हुई है, जो जमीन पर पड़े-पड़े सड़ रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार उन्होंने आंवला बेचने के लिए स्थानीय से लेकर बाहर के फल व सब्जी व्यापारियों से सम्पर्क भी किया, लेकिन आंवला खरीदने के लिए कोई आगे नहीं आया। ऐसे में वह जरूरतमंद लोगों को आंवला फल महज 10 रुपए प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं। इसके बाद जो फल शेष बचेंगे, उनका बीज तैयार कर लेंगे। ऐसी ही स्थिति आंवला उत्पादक किसानों की भी है। वह भी मजबूरी में छोटे-छोटे व्यापारियों को आंवला फल महज 10 से 12 रुपए प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं। बाजार में आंवला 15 से 20 रुपए किलो में बिक रहा है।
इनका कहना है
यह बात सही है कि इस साल ग्वालियर व चम्बल संभाग में आंवला का उत्पादन अच्छी मात्रा में हुआ है, लेकिन व्यापारी आंवला इसलिए नहीं खरीद रहे हैं क्यांकि बाजार में इसकी मांग ही नहीं है।
रामजी सिंह
अध्यक्ष, सब्जी व्यापारी संघ, ग्वालियर
लघु वन उपज संघ से फैक्ट्री लगाने की बात की
डॉ. ओ.पी. चौधरी, मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान एवं विस्तार, वन वृत्त ग्वालियर ने बताया कि ग्वालियर-चम्बल अंचल में कई किसानों और ग्राम पंचायतों ने आंवला के पौधे बड़ी मात्रा में लगाए हैं, जो अब फल देने लगे हैं, लेकिन इस अंचल में आंवला उत्पाद की फैक्ट्री नहीं होने से बाजार में आंवला की मांग न के बराबर है, इसलिए अब देशी आंवला के तो क्या हाईब्रिड आंवला के पौधे लगाने को भी लोग तैयार नहीं है। उन्होंने बताया कि हमने म.प्र. लघु वन उपज संघ से ग्वालियर में आंवला उत्पाद की फैक्ट्री लगाने का आग्रह किया है। इसके लिए प्रयास भी शुरू हो गए हैं।