बस स्टैण्ड : कई बार बनते जाम के हालात
जाम लगने पर सक्रिय होते हैं यातायात व्यवस्था कर्मी
झांसी। कहने को बस स्टैण्ड पर जाम से मुक्ति दिलाने के लिए प्रशासनिक जिम्मेदारियां दी गईं हैं, परंतु यह जिम्मेदारियां निभाने वाले कर्मी मात्र उस समय सक्रिय दिखाई देते हैं, जब जाम के हालात बेकाबू हो जाते हैं। हमारे प्रतिनिधि ने जब बस स्टैण्ड पर पूरे दिन रहकर जानकारी हासिल की, तब दिन में 22 से अधिक बार जाम के हालात बने। ऐसे में यातायात कर्मी किस प्रकार से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। इस पर सवाल उठने लगे हैं।
बस स्टैण्ड पर सुबह से शाम तक कई बार जाम की स्थिति बनती रहती है। चूंकि बस स्टैण्ड पर चारों तरफ का आवागमन बना रहता है। इसलिए यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि यह जाम आम जनता के लिए किस प्रकार की परिस्थितियों का निर्माण करते हैं। शहर से विश्वविद्यालय और महारानी लक्ष्मीबाई चिकित्सा महाविद्यालय जाने वाले हर व्यक्ति को बस स्टैण्ड पर लगने वाले जाम का सामना करना होता है। ऐसे में कई छात्र अपने गंतव्य तक काफी विलंब से पहुंचते हैं। जाम बनने के मुख्य कासरणों में जो दिखाई देता है। उसमें सबसे ज्यादा वाहनों का बेतरतीव ढंग से संचालन होना है। सब्जी मंडी की ओर से आने वाले वाहन एक मार्गी के रूप में विभाजित एक सड़क को पार कर लेते हैं, लेकिन दूसरी तरफ के आवागमन के जारी रहने के कारण वह बीच सड़क पर तब तक खड़ा रहता है, जब तक कि सड़क खाली न हो जाए। इतनी देर तक बीच सड़क पर वाहन का खड़ा रहना ही जाम लगने का मूल कारण है। इस पर लगाम लगाने के लिए एक तरफ के यातायात को रोक कर बहुत हद तक जाम के हालातों को रोका जा सकता है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा, इस कारण यह कहा जा सकता है कि प्रशासन को आम जनता की समस्याओं से वास्ता ही नहीं हैं।
यातायात के बेलगाम होने का एक और कारण यह भी माना जा सकता है कि यहां यातायात का भयंकर दबाव है। कोई बस जब बस स्टैण्ड से अपने गंतव्य से जाने के लिए बाहर निकलती है, तब भी जाम के हालात बनते दिखाई देते हैं। इसी प्रकार कोई बस बस स्टैण्ड में प्रवेश करती है, तब भी ऐसी ही स्थिति बनती है। बस के चालक अगर किनारे से लेकर सड़क पर आएं या बस स्टैण्ड के अंदर जाएं तो कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
बस स्टैण्ड पर बनने वाले ऐसे जाम के हालातों से जहां आम आदमियों को परेशानी का सामना करना होता है, वहीं मरीज को उपचार के लिए ले जाने वाली ऐंबूलेंस वाहनों को भी इस जाम से जूझना पड़ता है। कई बार दुर्घटना होने के हालात भी बनते हैं। प्रशासन को इस समस्या पर शीघ्र ही ध्यान देना चाहिए।