ईश्वर में मन लगाने से होता है उद्धार

आध्यात्मिक कृति 'आत्मा से परमात्मा की ओर' का हुआ विमोचन
भिण्ड। मनुष्य परमात्मा की पुण्य आत्माएं हैं, इसलिए हमें ईश्वर में मन लगाना चाहिए, इससे ही हमारा उद्धार संभव है। यह बात संत रामरतन दास जनसेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित भक्त रामरतन दास द्वारा लिखित आध्यात्मिक कृति 'आत्मा से परमात्मा की ओर' के विमोचन समारोह के अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार रामानंद सोनी ने कही। यह आयोजन संत रविदास जयंती के मौके पर वायपास रोड स्थित निराश्रित भवन में किया गया। कार्यक्रम का संचालन कौशलेन्द्र सिंह कौशल ने किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला कोषालय अधिकारी अर्जुन सिंह, चरन सिंह सरल सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि पुस्तक में आत्मा से परमात्मा से जोडऩे एवं आत्मा का विभिन्न योनियों में भटकाव से मुक्ति का रास्ता दिखाया गया है। डॉ. सुखदेव सिंह सेंगर ने कहा कि सामान्य तौर पर साहित्यकारों की अनेक कृतियां समय-समय पर प्रकाशित होती रहती हैं। जब एक संत द्वारा रचित कृति प्रकाशित हो तो उसमें आध्यात्म होना लाजिमी है।
पुस्तक के लेखक संत रामरतन दास ने कहा कि इस कृति को परमात्मा द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के आधार पर रचा गया है। इसमें 84 हजार योनियों में मनुष्य के भटकाव से लेकर उसके उद्धार की बात भी ईश्वर एवं गुरू की प्रेरणा से बताने का प्रयास किया गया है। इस कृति के प्रकाशन एवं संपादन में रामशंकर शर्मा का विशेष योगदान रहा है। इसके लिए उन्हें शाल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। साथ ही अतिथियों का सम्मान समिति पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में टीओ सिंह ने कहा कि ईश्वर की आराधना करने से मन को शांति मिलती है। इस पुस्तक में गुरु द्वारा बताए अनुसार ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग बताया गया है। जीवन में आध्यात्म की उपयोगिता वे ही लोग समझ सकते हैं, जो इससे जुड़े हुए होते हैं। इसलिए मनुष्य को आध्यात्म से अवश्य जुडऩा चाहिए। इनके अलावा परिसर में मौजूद कई लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।