बाउंड्रीवॉल हटाने में प्रशासन बेवश

तहसीलदार के आदेश का तीन दिन बाद भी नहीं हुआ क्रियान्वयन

शिवपुरी। शहर के हृदय स्थल में स्थित तकिये की बेशकीमती जमीन पर उच्च न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे, लेकिन इस आदेश के बाद भी आरोपी नीतेश गोयल ने विवादित भूमि पर बाउंड्रीवॉल का निर्माण कर प्रशासन को चुनौती दी। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन हेतु जब इस मामले को राजस्व न्यायालय तहसीलदार के न्यायालय में पेश किया गया तो तहसीलदार एलके मिश्रा ने 18 फरवरी के अपने आदेश में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के पालन हेतु विवादित जमीन पर निर्मित की गई बाउण्ड्रीवॉल को हटाने के आदेश दिए और इस संबंध में मुख्य नगर पालिका अधिकारी तथा फिजीकल चौकी प्रभारी को मदाखलत दस्ते के साथ 20 फरवरी तक बाउण्ड्रीवॉल हटाने का निर्देश दिया, लेकिन इस निर्देश की परवाह न करते हुए 21 फरवरी तक प्रशासन ने विवादित जमीन पर निर्मित बाउण्ड्रीवॉल को नहीं हटाया।


जानकारी के अनुसार माननीय उच्च न्यायालय ने विवादित जमीन के सर्वे नंबर 579, 80, 81, 87, 88, 89, 90, 91 और 592 कुल किता 10 रकबा 0.569 हैक्टेयर पर फैसले का निपटारा होने तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद विवादित जमीन पर कोई नवीन निर्माण नहीं किया जा सकता था, क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही विवादित जमीन का बंटवारा होगा। यही नहीं तहसीलदार ने भी अपने सशर्त नामांतरण में भी स्पष्ट किया था कि के्रता नीतेश गोयल का नामांतरण इस शर्त के साथ स्वीकार किया जाता है कि यह नामांतरण केवल राजस्व अभिलेख अद्यतन की प्रक्रिया मात्र है। इसका स्वत्व और आधिपत्य से कोई संबंध नहीं है। इसके बाद भी क्रेता ने माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अव्हेलना करते हुए विवादित जमीन पर पक्की बाउण्ड्रीवाल का निर्माण कर लिया।


इस मामले को लेकर और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के पालन के लिए वाद राजस्व न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। राजस्व न्यायालय ने अपने आदेश में बाउण्ड्रीवॉल को हटाने के स्पष्ट आदेश दिए हैं। निर्णय में यह भी लिखा है कि उपरोक्त बाउण्ड्री का पक्का निर्माण हो चुका है इस कारण उसे हटाने के लिए राजस्व अधिकारी, पुलिस बल और नगर पालिका का सहयोग आवश्यक है। इसकी पूर्ति हेतु तहसीलदार ने आदेश के पालन हेतु मुख्य नगर पालिका अधिकारी तथा फिजीकल चौकी प्रभारी को पत्र लिखकर उनसे मदाखलत दस्ता तथा आवश्यक बल उपलब्ध कराने को कहा, लेकिन तीन दिन बाद भी इस आदेश का क्रियान्वयन न होने से स्पष्ट है कि किस तरह से विवादित पक्ष को अपने पक्ष में आदेश लाने के लिए जान-बूझकर प्रशासन द्वारा मौका दिया जाता है।

पक्की बाउण्ड्रीवॉल मेरे द्वारा हटाना संभव नहीं: पटवारी
तहसीलदार मिश्रा ने इस मामले में फैसला देते हुए पटवारी को आदेश दिया था कि वह विवादित बाउण्ड्रीवॉल को हटाए, लेकिन पटवारी ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि चूंकि विवादित सर्वे नंबरों पर बाउण्ड्रीवाल सीमेंट, बजरी और खण्डों से पक्की निर्मित की गई है इस कारण उसके द्वारा बाउंड्री हटाया जाना संभव नहीं है।

विवादित जमीन पर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना पर के्रता नीतेश गोयल द्वारा निर्मित की गई बाउण्ड्रीवॉल हटाने का आदेश दिया गया है, लेकिन तीन दिन बाद भी इस आदेश का पालन न होना प्रशासन की नीयत पर कहीं न कहीं संदेह खड़ा करता है। इस कारण प्रशासन को अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए तुरंत ही विवादित जमीन पर निर्मित निर्माण को हटाना चाहिए ताकि जनता का कानून और प्रशासन पर भरोसा कायम रह सके।

संजीव बिलगैया, एडवोकेट

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