तापमान में बढ़ोत्तरी का दिखा असर, बार-बार सर्द-गर्म हो रहा मौसम का मिजाज

अशोकनगर। मौसम में परिवर्तन का असर अब दिखाई देने लगा है। वसंत ऋतु के इस मौसम में लोगों को गर्मी का अहसास हो रहा है। तीन दिन पहले हुई बूंदाबांदी के बाद अंदाजा लगाया जा रहा था कि एक बार फिर से सर्दी का एहसास लोगों को होगा लेकिन सर्दी की जगह गर्मी का एहसास होने लगा है।
लोग दिन में पंखे चलाकर गर्मी से राहत ले रहे हैं। सुबह-सांय के अलावा रात्रि में ही लोगों को हल्की सर्दी महसूस हो रही है। जबकि दोपहर के समय तेज धूप के साथ गर्मी असर लोगों पर दिखाई दे रहा है। अभी फरवरी का महीना चल रहा है ऐसे में गर्मी का आ जाना आने वाले महीनों में भीषण गर्मी का संकेत है। शुक्रवार को दिन का अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जबकि न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस रहा। तापमान में हो रही बढ़ोत्तरी ने लोगों को सर्दी में उपयोग किए जाने वाले गर्म कपड़ों को लगभग पहनना बंद करा दिया है। लोग अब गर्मी के मौसम के अनुकूल कपड़ों का उपयोग कर रहे हैं। इतना ही नही बाजार में गर्मी से राहत लेने के लिए शीतल पेय पदार्थों की मांग भी शुरू हो गई है। वहीं तापमान में हो रही बढ़ोत्तरी पर मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मी का एहसास दो एक दिन ही होगा। क्योंकि अभी आसमान में हल्के बादल छाय होने के कारण गर्मी का असर बना हुआ है। बादलों के छटते ही तापमान में गिरावट दर्ज होगी। शुक्रवार की सुबह से ही हल्के बादलों का डेरा आसमान में उमडऩे लगा जो पूरे दिन भर बना रहा।

प्रभावित हो रहीं फसलें:

मौसम में बार-बार हो रहे बदलाव का असर फसलों पर पड़ रहा है। प्रभावित फसलों को लेकर किसानों की चिंताएं भी बढऩे लगी हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम में हो रहे परिवर्तन के कारण रवि की फसलें प्रभावित हो रहीं हैं। इस सीजन की सबसे प्रमुख फसलें गेहूं, चना, मसूर और धनिया जिले में सर्वाधिक किसानों ने उगाए हैं। बार-बार तापमान बढऩे और घटने के कारण वे फसलें ज्यादा प्रभावित हो रहीं हैं जिनमें फली या बीजा बनना शुरू हो गया है। इसके अलावा चना में इल्ली का प्रकोप भी तापमान के बढऩे के कारण हो रहा है। वहीं गेहूं की फसल भी अधिक गर्मी के कारण प्रभावित हो रही है। उल्लेखनीय है कि बीते वर्षों से किसान प्राकृतिक आपदाओं सहित कीट व्याधि सहित अन्य परेशानियों से जूझ रहा है। इतने पर इस बार मौसम की अस्थिरता के चलते फसलें एक बार फिर किसानों की उम्मीद पर पानी फेरती दिखाई दे रहीं हैं।

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