बसंत ऋतु भगवान का स्वरूप

वृन्दावन। मोतीझील स्थित स्वामी अखंडानंद पुस्तकाल में बसंत पंचमी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया, जिसमें आचार्य राकेश शुक्ल एवं सनत्कुमार शास्त्री के आचार्यत्व में श्याम रवानी व वेदविद्या केंद्र के छात्रों ने पूजन किया। विद्वत संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए गंगाधर पाठक ने कहा कि ऋतुओं में बसंत ऋतु भगवान का स्वरूप है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए प्रकृति विविध उपहार लेकर प्रार्थना कर रही है। डा. रामकृपाल त्रिपाठी एवं रामनिवास शास्त्री ने कहा कि विद्या धन सबसे श्रेष्ठ है, जो दरिद्रता गुण को नष्ट कर देता है। मां सरस्वती की आराधना से मूर्ख भी विद्वान हो जाता है। देवेश दीक्षित एवं स्वामी अमृतानंद आदि ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर स्वामी सच्चिदानंद, डा. गोविंदानंद, महेशानंद, अभेदानंद, रामनरेश, संतोषानंद, मुसाफिर तिवारी, विद्याधर तिवारी, रामदेव, गुमानदेव, शांतानंद, शिवसागर दास, व्रजकिशोर, योगेश, वेदप्रकाश, नीरज शास्त्री आदि उपस्थित थे। संचालन स्वामी सेवानंद ब्रह्मचारी ने किया।

Next Story