अमरनाथ गल्र्स डिग्री कॉलेज में हुई विमुद्रीकरण पर परिचर्चा

मथुरा। जनपद में बालिकाओं की उच्च शिक्षा के अग्रणी अमरनाथ गल्र्स डिग्री कॉलेज में विमुद्रीकरण पर आयोजित परिचर्चा में अधिकांश वक्ताओं का मत था कि विमुद्रीकरण के लाभ का सही पता कुछ समय बाद ही चल सकेगा, जबकि कुछ वक्ताओं का कहना था कि काला धन निकालने के लिए देश की 80 प्रतिशत जनता को सजा देना और उसे काला धनवालों की श्रेणी में रखना अनुचित है।
महाविद्यालय के चेयरमैन डा. आदित्य कुमार वाजपेयी ने इस परिचर्चा के लिये सभी छात्राओं एवं वक्ताओं को शुभकामनायें दीं। अमरनाथ गल्र्स डिग्री कॉलेज में आयोजित इस परिचर्चा की शुरूवात आईआईएम कलकत्ता और आईआईटी दिल्ली से शिक्षा प्राप्त नीरव निमेश अग्रवाल ने विमुद्रीकरण के बारे में संक्षेप में बताते हुए कहा कि यह बिना पूरी तैयारी के लिया गया एक कदम है जिसमें सबसे अधिक प्रभावित शहर में रहने वाला वह मजदूर है जो दैनिक मजदूरी पर काम करता है।
मथुरा के चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट संजीव अग्रवाल ने काले धन को परिभाषित करते हुए कहा कि इस योजना से बहुत अधिक फायदा नही होगा क्योंकि काला धन भारतीय अर्थ व्यवस्था के कैश में सिर्फ 6 प्रतिशत है।
जीएलए विश्वविद्यालय के सहायक प्रवक्ता डा0 अंकित सक्सेना ने उक्त वक्ताओं के मत से कुछ अलग राय देते हुए कहा कि काले धन की अपेक्षा सरकार का मुख्य उद्येश्य जाली नोट को रोकना और कैशलेश अर्थव्यवस्था को लागू करना है।
प्रमुख व्यापारी हिमंाशु कालरा ने कहा कि सरकार के इस कदम से काले धन वाले प्रभावित नही हुए हैं तथा आम जनता इससे परेशान हो रही है। उन्होंने प्रश्न किया कि मजदूर यदि दिन भर लाइन में लगेगा तो वह किस प्रकार कमाएगा।
अमरनाथ डिग्री कालेज की छात्रा तनु गौड़ ने सभी वक्ताओं से असहमति व्यक्त करते हुए इस कदम को गलत बताया और कहा कि इससे सरकार के किसी उद्येश्य की पूर्ति नही होगी। जबकि छात्रा खुशबू गर्ग, सोनाली और अन्य महाविद्यालय से भाग लेने आई मोनिका अग्रवाल ने विमुद्रीकरण का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने 50 दिन का समय मांगा है तथा लोगों को तब तक इंतजार करना चाहिए।
पूर्व में इस परिचर्चा की भूमिका प्रस्तुत करते हुए इस समसामयिक परिचर्चा को आयोजित करने वाले अमरनाथ गल्र्स डिग्री कालेज के प्रवक्ता रोहित वाजपेयी ने विमुद्रीकरण पर विस्तार से चर्चा की तथा परिचर्चा के लिए वातावरण तैयार किया। अमरनाथ गल्र्स डिग्री कालेज के कोआर्डीनेटर डा0 अनिल ने जहां इस परिचर्चा को महत्वपूर्ण और समसामयिक बताया। वहीं वरिष्ठ पत्रकार सीपी सिंह सिकरवार ने कहा कि इस प्रकार की परिचर्चा अन्य संस्थाओं में भी आयोजित की जानी चाहिए।
कालेज की प्राचार्या डा. मीता के निर्देशन में आयोजित इस परिचर्चा में प्रवक्ता डा. मधुबाला शर्मा ने संचालन किया तो इस परिचर्चा को सफल बनाने में मनीशा गोयल, सुरभि भाटिया, कल्पना चौधरी, दीपा चौधरी, डा0 मनोरमा शर्मा एवं नूतन देहर आदि प्रवक्ताओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
