प्याज को लेकर किसानों के आंसू नहीं बहने देंगे

प्रदेश में नगदी की समस्या आड़े नहीं आने दी जाएगी: शिवराज
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्याज के रिकार्ड उत्पादन के बावजूद किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं। इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय से बात की जाएगी। सब्जियों के परिवहन के लिए ट्रांसपोर्टरों की समस्याओं के लिए उनसे बात करने के निर्देश देते हुए कहा कि किसान को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। कैश वैन की व्यवस्था बनाकर नकदी की कमी को दूर किया जाए।
आलू, प्याज और टमाटर की चढ़ती-उतरती कीमतों को देखते हुए सरकार अब इनकी फुटकर और थोक कीमतों पर नजर रखेगी। कृषि और खाद्य विभाग के अधिकारी न सिर्फ इसकी रिपोर्ट प्रतिदिन लेंगे बल्कि इसे मुख्यमंत्री सचिवालय भी भेजा जाएगा। नगदी की समस्या को दूर करने सब्जी मंडियों में कैश वैन लगाई जाएंगी। तुअर और सोयाबीन की सरकारी खरीदी के लिए केंद्र बड़वाने केंद्र सरकार से बात भी की जाएगी। टमाटर और आलू के सही दाम नहीं मिलने से किसानों को हो रहे नुकसान को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कृषि, उद्यानिकी, वित्त और मंडी बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने मंडियों में बिक रही फसलों के दाम बताए और कहा कि इसमें कमी तो आई है, पर ये स्थाई नहीं है। तुअर और सोयाबीन भी कई जगहों पर समर्थन मूल्य से कम बिक रहा है। ट्रांसपोर्टर भी कम ढुलाई कर रहे हैं। इससे भी समस्या खड़ी हो रही है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त एपी श्रीवास्तव, कृषि उत्पादन आयुक्त पीसी मीना, प्रमुख सचिव उद्यानिकी व मुख्यमंत्री अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव सहकारिता अजीत केसरी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसके मिश्रा, प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड राकेश श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
प्याज की बंपर पैदावार से सडक़ पर फेंकने को मजबूर किसान
प्रदेश में प्याज की बंपर पैदावार ने किसानों की खासी परेशानी बढ़ा दी है। किसानों को प्याज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है और व्यापारियों ने प्याज खरीदने से हाथ खड़े कर दिए हैं। नोटबंदी के बाद प्याज इतनी सस्ती हो गई है कि हजारों कुंटल प्याज को अब कोई भाव देने वाला नहीं मिल रहा है। जिसके चलते किसान बेबस औऱ लाचार हैं। प्रदेश में प्याज की प्याज की कीमतें इतनी गिरी हैं कि किसान बेचने से ज्यादा उसे सडक़ों पर फेंकना पसंद कर रहे हैं। व्यापारियों के अनुसार मंडी में लाल प्याज की बंपर आवक के चलते भी प्याज की कीमत एक रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है। इससे ज्यादा दरों पर कोई भी दलाल या व्यापारी किसानों से प्याज खरीदने के लिए राजी नहीं है। प्रदेश के किसान ग्रामीण इलाकों से हजारों क्विंटल प्याज टैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर पहुंच रहे हैं।
जहां काफी कम रेट लगाए जाने किसानों में निराशा का माहौल है। नोटबंदी के बाद से ही ज्यादा नीलामी नहीं हुई है, क्योंकि बाजार में नई करेंसी की कमी थी। बाजार में अभी तक संग्रहीत प्याज बिक नहीं पाया । जब बाजार खुला तो प्याज की नई खेप आ गई। इससे प्याज के दाम घट गए। किसानों के पास कम दामों में लाल प्याज बेचने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि गुलाबी प्याज की तरह इसे ज्यादा दिनों तक संग्रह कर नहीं रखा जा सकता है।
कीमतों में गिरावट का असर विशेष रूप से सीमांत और छोटे किसानों पर होता है। खास करके किसानों के इस दुख में प्रशासन भी चुप्पी साधे हुए हैं जिसके कारण किसान कहीं ना कहीं आत्महत्या तक करने को मजबूर हो रहा हैं।