यमुना एक्सप्रेस वे पर बढ़ते हादसों पर कुछ करते क्यों नहीं ?
10 हजार में कुल 13 वाहनों का ओवर स्पीडिंग चालान
सूचना के अधिकार के तहत खुलासा, एडीएफ की जनहित याचिका की तैयारी
आगरा। नोएडा से आगरा को जोडऩे वाला यमुना एक्सप्रेस अपने निर्माण के उद्देश्य की सफलता से कम और हादसों में मरने वाले लोगों की बढती संख्या के कारण अधिक उपलब्धियां बटोरता दिख रहा हैै। एक्सप्रेस वे पर हादसे हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। जब से सर्दी ने दस्तक दी है तभी से हादसों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती जा रही है लेकिन इसके विपरीत कोई ऐसा दिखाई नहीं देता जो इस हाइवे पर लोगों की जिंदगी की चिंता करे।
दरअसल अभी हाल में सूचना अधिकार के अंतर्गत यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना का खुलासा काफी चौकानें वाला है। जिस तरह यमुना एक्सप्रेस वे पर गाडिय़ां फर्राटा भरती हैं और 150 से 160 किमी प्रतिघंट दौड़ती हैं, किन्तु उनके ओवर स्पीडींग के चालान न के बराकर हैं। यह बात निकलकर आई जब येडा ने यह सूचना आगरा निवासी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व एडीएफ के सचिव केसी जैन को यमुना एक्सप्रेस वे अधिकारियों द्वारा उपलब्ध करायी है। वर्ष 2013 से लेकर 2015 के ही आंकड़े देखें जाए तो प्रत्येक 10 हजार वाहन में ओवर स्पीड के चालान कुल 13 वाहन के किये गये। वहीं यह सूचना भी उपलब्ध करायी गयी है कि वर्ष 2013 में 268, 2014 में 208 व 2015 में 121 दुर्घटनाऐं हुई। ओवर स्पीडींग के चालान की नगण्य संख्या यमुना एक्सप्रेस वे पर होने वाली गंभीर घटनाओं की कहानी को स्वयं बता देती है। एडीएफ उपलब्ध करायी गयी सूचना को लेकर एकबार फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के माध्यम से गुहार लगायेगा।
यमुना एक्सप्रेस वे पर 60 प्रतिशत गाडियां निर्धारित गतिसीमा 100 किमी का उल्लघंन करती हैं। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन और न ही येडा या कंशेसनायर जेपी इंफ्राटेक इस गतिसीमा उल्लघंन को रोकने में गंभीर है। जहां एक ओर निर्धारित गति सीमा से अधिक चलाना मोटर वाहन अधिनियम में अपराध है वहीं दूसरी ओर प्राणघातक घटनाऐं भी ओवर स्पीडींग का परिणाम है।
केसी जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट व सचिव, एडीएफ।