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पोषण आहार में गड़बड़ी, जनप्रतिनिधि भी मैदान में, ‘स्वदेश’ द्वारा छेड़े गए अभियान की सभी ने की सराहना

पोषण आहार में गड़बड़ी, जनप्रतिनिधि भी मैदान में, ‘स्वदेश’ द्वारा छेड़े गए अभियान की सभी ने की सराहना
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ग्वालियर।
ग्वालियर में शहरी क्षेत्र की आंगनबाडिय़ों पर आने वाले मासूमों के पोषण आहार के लिए आवंटित बजट में ठेकेदार और अधिकारियों द्वारा किए जा रहे बंदरबांट के खिलाफ अब शहर के जन-प्रतिनिधि सीधे मैदान में उतरने को तैयार हैं।

शहर के पार्षद, समाजसेवी, भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेेताओं ने मासूमों के हक के लिए ‘स्वदेश’ द्वारा शुरू किए गए अभियान से जुडक़र अपने क्षेत्र की आंगनबाडिय़ों पर पहुंचकर पोषण आहार की गुणवत्ता जांचने और गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई हेतु अभियान चलाने की बात कही है। जन-प्रतिनिधियों का स्पष्ट कहना है कि आंगनबाडिय़ों पर मासूमों को दिया जाने वाला पोषण आहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के साथ मजाक साबित हो रहा है। प्रदेश में कुपोषण के निरंतर ऊपर होते ग्राफ को नीचे लाना है तो बजट बढ़ाने की बजाय संचालित पोषण योजनाओं के ठीक से क्रियान्वयन और इसकी नियमित निगरानी की आवश्यकता है। मासूमों के पोषण आहार में गड़बड़ी कर बंदरबांट करने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों पर न केवल सख्त विभागीय कार्रवाई हो बल्कि इनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर इन्हें सजा भी दिलाई जानी चाहिए।

बच्चें के खाने लायक नहीं है यह खाना
कृष्णराव दीक्षित (नेता प्रतिपक्ष न.नि.ग्वालियर): आंगनबाड़ी में बच्चों को बहुत कम मात्रा में भोजन दिया जाता है। जो भेाजन दिया भी जाता है उसकी गुणवत्ता ऐसी नहीं होती जिसे बच्चों के खाने लायक माना जाए। आंगनबाडिय़ों पर पैकेट में दिया जाने वाला पोषण आहार भी बहुत खराब होता है, जिसमें अक्सर कीड़े देखे जा सकते हैं। बहुत कम मानदेय पर नौकरी करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर दबाव डालकर अधिकारी उनसे अभिलेखों में गड़बडिय़ां कराते हैं। जिससे गड़बड़ी उजागर होने की स्थिति में कार्यकर्ता फंसें जबकि अधिकारी और भोजन वितरण करने वाली संस्थाओं द्वारा मिलकर मासूमों के पोषण आहार में बड़े स्तर पर चोरी की जा रही है।

मासूमों के आहार से खिलवाड़ ठीक नहीं
खुशबू गुप्ता (एमआईसी सदस्य न.नि.ग्वालियर): जिस समय मेरे पास महिला एवं बाल विकास विभाग का प्रभार था, मेरे द्वारा ग्वालियर की करीब एक सैकड़ा से अधिक आंगनबाडिय़ों पर औचक निरीक्षण कर पोषण आहार सहित अन्य अनियमितताएं पकड़ी गईं थीं तथा कार्रवाई भी कराई थी। आज भी स्थिति जस की तस हैं। पोषण आहार के नाम पर मासूमों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। प्रदेश से कुपोषण मिटाना है तो आंगनबाडिय़ों के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा पोषण आहार अच्छी गुणवत्ता और उचित मात्रा में उन तक पहुंचना जरूरी है। बच्चे कुछ सीखें, उनकी गतिविधियां बढ़ें इसके लिए हम बच्चों को आंगनबाडिय़ों पर भेजते हैं। यही स्थिति रही तो क्यों हम अपने बच्चों को वहां भेजेंगे। ‘स्वदेश’ की पहल सराहनीय हैं। हर तरह से मैं ‘स्वदेश’ के इस अभियान के साथ हँू।


ऊपर तक होता है बंटवारा
देवेन्द्र तोमर (पूर्व नेता प्रतिपक्ष न.नि.ग्वालियर): आंगनबाडिय़ों पर पोषण आहार के नाम पर मासूमों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकार की मंशा और सिस्टम ठीक होगा तभी व्यवस्थाओं में सुधार हो सकेगा। गरीबों के नाम पर संचालित योजनाओं में चोरी कर ऊपर तक बंटवारा होता है। सरकार कुपोषण से हो रही मौतों को स्वीकारना नहीं चाहती। आंगनबाडिय़ों पर पोषण आहार की यही स्थिति रही तो प्रदेश में कुपोषण की स्थिति और अधिक विकराल होगी। ‘स्वदेश’ द्वारा अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से मासूमों के साथ किए जा रहे खिलवाड़ को उजागर करने का जो अभियान आरंभ किया गया है। मैं उसके साथ हँँू। जनप्रतिनिधि होने के नाते अभियान से जुड़ा हँू। क्षेत्र की आंगनबाडिय़ों पर जाकर मासूमों के पोषण आहार को देखूंगा। गुणवत्ता खराब मिली तो सरकार और सिस्टम के खिलाफ अभियान छेडूंगा। मासूमों के पोषण आहार से मजाक नहीं होने देंगे।
ऐसा खाना जिसे कुत्ते, बिल्ली भी न सूंघें

सतीश सिंह सिकरवार (पार्षद वार्ड क्र. 56) ‘स्वदेश’ द्वारा शुरू किए गए अभियान की सराहना करते हुए कहा कि नेता और अधिकारी पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। सब मिलकर मासूमों के हक को चोरी कर खा रहे हैं। मासूमों को पोषण आहार के नाम पर ऐसा खाना दिया जा रहा है, जिसे कुत्ते, बिल्ली, गधे भी न सूंघें। आंगनबाडिय़ों पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है। आंगनबाडिय़ों पर विगत वर्षों की अपेेक्षा बच्चों की संख्या दस्तावेजों में दो गुनी कर ली गई है। जबकि सच्चाई यह है कि आंगनबाडिय़ों पर 5-10 बच्चे भी नहीं आते। पोषण आहार वितरण व्यवस्था में मंत्रियों के मित्र-रिश्तेदार बैठे हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे कि आपकी योजनाओं का लाभ वास्तविक हितग्राहियों और मासूमों को नहीं मिल पा रहा है। बजट को अधिकारी और ठेकेदार बने नेता मिलकर चट कर रहे हैं। हर तरह से ‘स्वदेश’ की इस सराहनीय पहल के साथ हैं।

पशु नहीं ये बच्च्े हैं
शशि शर्मा (पार्षद वार्ड क्र. 2) - अपने वार्ड की आंगनवाडिय़ों पर पहुंचकर कई बार पोषण आहार की स्थिति को देखा है। मासूम बच्चों के लिए आने वाले पोषण आहार की गुणवत्ता इतनी खराब है कि इसे इंसान तो नहीं खा सकता। इस कारण ज्यादातर पोषण आहार पशुओं को ही डाला जाता है। सरकार ने बच्चों को पशुओं की श्रेणी में रख दिया है। आंगनबाडिय़ों पर अधिकतम 10-15 बच्चे पहुंचते हैं, जबकि रजिस्टर में संख्या 60-65 या अधिक भरवाई जाती है। इसी तरह करीब ढाई सौ ग्राम चने 4 किलो तक लिखवाए जाते हैं। बिना शक्कर का बदबूदार हलवा जिसमें घी की बूंद तक नहीं होती। दाल के नाम पर पानी, पूडिय़ां रबड़ जैसी जो छोटे बच्चों से चबाई नहीं जातीं। अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से बच्चों के हक के पोषण आहार पर डाका डाला जा रहा है। मासूमों के पोषण आहार में गड़बड़ी को उजागर करने का जो अभियान ‘स्वदेश’ ने आरंभ किया है। मैं और मेरे क्षेत्र की जनता हर तरह से इस अभियान के साथ है। पोषण आहार की गुणवत्ता सुधारने के लिए अब आंदोलन करना पड़ेगा तो करूंगा।

बच्चें को मिलता है बदबूदार खाना
चन्दू सेन (पार्षद वार्ड 33): आंगनबाडिय़ों पर पहुंचकर मैने कई बार बच्चों का खाना देखा है। बदबूदार और बहुत कम मात्रा में खाना आता है। जिसे बच्चे नहीं खाते हैं। विभाग ने हजारों बच्चों के खाने की जिम्मेदारी समूहों के ठेकेदारों को सौंपी है जो रात में खाना तैयार कर सुबह भेजते हैं। खाने में तेल, घी, शक्कर कुछ होता नहीं है। 11 बजे के बाद आंगनबाडिय़ां खुलती हैं। दोपहर 12 बजे के बाद यह खाना बच्चों के खाने के लिए परोसा जाता है, जिसमें बदबू आती है। इसकी गुणवत्ता मासूमों के तो क्या गरीब से गरीब व्यक्ति के खाने लायक नहीं होती। समय-समय पर पकवान या खीर-मिठाई देने की बात कागजों और अखबारों में दी जाती है। यह आंगनबाडियों में कभी नहीं पहुंचती। ‘स्वदेश’ द्वारा शुरू किए गए अभियान से आशा बंधी है कि अधिकारी और नेताओं को शर्म आएगी। मासूमों को उनका हक मिल सकेगा। मैं अपने क्षेत्र की जनता के साथ ‘स्वदेश’ के इस अभियान के साथ हँू।

गड़बड़ी करने वालों पर कराएंगे कार्रवाई
देवेश शर्मा (जिलाध्यक्ष भाजपा): मासूमों के पोषण आहार में चोरी को उजागर करने का जो अभियान ‘स्वदेश’ ने शुरू किया है, सराहनीय है। मासूमों के हक के पोषण आहार से खिलवाड़ कतई नहीं होने देंगे। सत्तारूढ़ राजनीतिक दल का प्रतिनिधि होने के नाते जनता के प्रति मेरी जवाबदारी अधिक हैं। केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं में गड़बड़ी नहीं होने देंगे। आने वाली पीढ़ी के भविष्य के साथ मजाक कतई सहन नहीं किया जाएगा। मैं खुद अपनी टीम के साथ आंगनबाडिय़ों पर पहुंचकर पोषण आहार की गुणवत्ता और मात्रा जांचने जाऊंगा। अगर गड़बड़ी मिली तो सरकार से आग्रह करूंगा कि गड़बड़ी करने वाले लोगों और अधिकारियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करे।
निगरानी समितियां गठित हों

डॉ.प्रदीप कश्यप (अध्यक्ष म.प्र. एनजीओ परिषद): आंगनबाडिय़ों पर मासूमों के भोजन के साथ गड़बड़ी को उजागर किए जाने पर ‘स्वदेश’ का आभार व्यक्त करते हुए समाजसेवी डॉ प्रदीप कश्यप का कहना है कि मासूमों के आहार की निगरानी के लिए सरकार को स्थानीय स्तर पर समिति गठित करनी चाहिए। इस समिति में समाज की सहभागिता आवश्यक है। ग्वालियर संभाग में कुपोषण को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। बच्चों को खाना ठीक दिया जाना चाहिए। ‘स्वदेश’ के इस अभियान में सहभागी होकर हम स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर आंगनबाडिय़ों पर पोषण आहार की स्थिति को जांचेंगे और शासन और प्रशासन को इससे अवगत कराएंगे।

Updated : 21 Dec 2016 12:00 AM GMT
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