प्रधानमंत्री की नीतियों के वैश्विक स्तर पर होंगे दूरगामी परिणाम

जीविवि की राजनीतिक विज्ञान एवं लोकप्रशासन अध्ययनशाला में दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारम्भ
ग्वालियर। भारत एक बड़ा बाजार है और वह अपनी क्षमताओं का उपयोग रणनीतिक हितों की पूर्ति के लिए कर सकता है। यह बात शनिवार को समाजसेवी एवं क्रीड़ा भारती के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक सचेती ने जीवाजी विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान एवं लोकप्रशासन अध्ययनशाला के सभागार में दक्षिण चीन सागर विवाद और भारत पर इसके प्रभाव विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारम्भ अवसर पर कही। उन्होंने राष्ट्रहित में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्री मोदी की नीतियों के वैश्विक स्तर पर दूरगामी परिणाम होंगे।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बहरामपुर विश्वविद्यालय उड़ीसा के प्रो. अमूल्य त्रिपाठी उपस्थित थे, जबकि विशिष्ट अतिथि दिल्ली के प्रो. बच्चन कुमार थे। इस अवसर पर प्रो. ए.पी.एस.चौहान ने अमेरिका की चीन नीति में आए बदलाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अमेरिका पुन: चीन को लेकर सीमितीकरण (कन्टेनमेंट) की नीति अपना रहा है। तत्पश्चात् कार्यशाला के विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण चीन सागर को एक विवादित क्षेत्र बताकर भारत की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव लाया है। कार्यक्रम में उपस्थित जे.एन.यू. के शोधार्थी विजय कुमार ने बताया कि दक्षिण चीन सागर विवाद के संदर्भ में इस क्षेत्र की राजनीति में संतुलन बनाने के लिए अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण है। शोधार्थी पियूष पुष्कर ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय के विधिक प़क्ष पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी मेंं पुस्तकालय तथा भारतीय संस्कृति पर एक विशेष सत्र का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. कमल, डॉ.अबू जहीर रब्बानी, डॉ.एस. प्रभाकर , कवि मट्टू ,डॉ. नीरज कुमार झा, डॉ.एस.एस.सिकरवार, डॉ. दीपक वर्मा, डॉ. एस.डी. सिसोदिया, डॉ.एन.एस.चौहान, डॉ. अनुपम गुप्ता , स्वाति त्रिपाठी, प्राची सिंह , लता दनेलिया, विजय कुमार यादव , डॉ. ब्रजेश तोमर, ऋषि कुमार, डॉ. रविरंजन, डॉ. डी. के. सिंह ,डॉ. कुसुम भदौरिया, डॉ. कविता अग्रवाल, डॉ. सुधा गुप्ता आदि उपस्थित थे।