पीपल के पेड़ से प्रकट हुए थे डॉ. हनुमान

पीपल के पेड़ से प्रकट हुए थे डॉ. हनुमान
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दंदरौआ धाम में मंगल और शनिवार को लगता है भक्तों का मेला


भिंड जिले के मेहगांव में स्थित दंदरौआ धाम के दर्शन और परिक्रमा मात्र से ही गंभीर से गंभीर बीमारियां ठीक हो जाती हैं। यूं तो प्रतिदिन यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं लेकिन मंगलवार और शनिवार को तो भक्तों का मेला लगता है।



ग्वालियर।
अंचल में वैसे तो पवन पुत्र के कई प्राचीन मंदिर हैं। लेकिन ग्वालियर से 70 किलोमीटर दूर भिंड जिले में मेहगांव के पास स्थित दंदरौआ धाम पर स्थित हनुमानजी के मंदिर की महिमा कुछ अलग ही है। इस मंदिर की पहचान डॉक्टर हनुमान के नाम से भी है।

दंदरौआ धाम के महंत रामदास जी महाराज बताते हैं कि प्रभु की मूर्ति लगभग 300 वर्ष पूर्व यहां स्थित पीपल के पेड़ के गर्भ से निकली थी, जिसे सबसे पहले मिते नामक सिद्ध संत ने स्थापित कराया था। तब से मूर्ति की पूजा-अर्चना शुरू की गई। वहीं इस मंदिर का यह नाम इसीलिए पड़ा क्योंकि लोगों की मान्यता है कि सात मंगलवार हनुमान जी की परिक्रमा लगाने से लोगों को गंभीर रोगों से मुक्ति मिल जाती है। दंदरौआ आश्रम की स्थापना पुरूषोत्तम महाराज ने की और इसकी देखरेख स्वयं रामदास महाराज कर रहे हैं। यहां हनुमान जयंती, गुरू पूर्णिमा एवं अन्य महत्वपूर्ण त्यौहारों के अलावा प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को हजारों श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं। बताया जाता है कि मूर्ति के चोले का सिंदूर जब पीडि़त के रोग वाले स्थान पर लगाया जाता है, तो ऐसी मान्यता है कि वह रोग कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।

ग्वालियर से हर मंगलवार को जाते हंै श्रद्धालु
शहर से 70 किलोमीटर दूर दंदरौआ धाम के दर्शन के लिए ग्वालियर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने वाहन या फिर बस से प्रत्येक मंगलवार को जाते हैं। यहां देश-विदेश से भक्त प्रतिदिन दर्शनों के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी उपासना करता है, रामभक्त हनुमान उनके असाध्य रोगों तथा दुखों का निवारण करते हैं। जिसमें फोड़ा, अल्सर और कैंसर जैसी बीमारियां भी मंदिर की 7 परिक्रमा करने पर ठीक हो जाती हैं।


इन्होंने कहा
मुझे चिकित्सकों ने कैंसर बताया था। लेकिन मैने सिर्फ पांच मंगलवार दंदरौआ धाम की परिक्रमा लगाई है। आज मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं।

कमलादेवी शाक्य, श्रद्धालु

मुझे आज से दो साल पहले गर्दन के पास बहुत बड़ा फोड़ा हो गया था। चिकितसकों ने कहा कि ऑपरेशन होगा। लेकिन मैंने हनुमान जी की 7 परिक्रमा लगाई थी। आज उनकी कृपा से मुझे कोई भी कष्ट नहीं है।

मनीष यादव

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