रेलवे अस्पताल को खुद है उपचार की दरकार
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*समय पर नहीं पहुंचते चिकित्सक, सफाई कर्मचारी कर रहे हैं लोगों की पट्टी *मरीज हो रहे परेशान
ग्वालियर। रेलवे कर्मचारियों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया रेलवे अस्पताल इन दिनों स्वयं बीमार है। यहां व्याप्त अव्यवस्थाओं को देखकर यह कहा जा सकता है कि इस अस्पताल को जैसे स्वयं ही बेहतर उपचार की आवश्यकता है। स्थिति यह है कि यहां तैनात चिकित्सक कभी भी समय पर नहीं आते तो वहीं सफाई कर्मचारी लोगों की पट्टी कर रहे हैं।
रेलवे कॉलोनी स्थित यह अस्पताल यूं तो बहुत बड़े क्षेत्र में बना हुआ है लेकिन इसमें मरीजों के लिए आपातकालीन सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। यदि कोई बड़ा हादसा हो जाए तो यहां मरीज को तुरंत उपचार नहीं मिल सकता। वहीं स्टॉफ की कमी के चलते मरीजों का इलाज तक नहीं हो पा रहा है। हालत यह है कि अस्पताल में ड्रेसर नहीं होने के कारण सफाई कर्मचारियों से मरीजों की पट्टी कराई जा रही है। स्थिति यह है कि यदि सफाई कर्मचारी इस काम को करने से मना करता है तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा उसे नोटिस थमाने की धमकी दी जाती है इतना ही नहीं अगर रेलवे स्टेशन पर कोई रेल यात्री गंभीर रूप से बीमार हो जाए, तो इसकी सूचना रेलवे चिकित्सक को दिए जाने के बाद भी वह बीमार यात्री का उपचार करने समय पर नहीं पहुंचते। अस्पताल की दुर्दशा के लिए रेलवे प्रबंधन ही जिम्मेदार है। स्टाफ की कमी का रोना रोकर अस्पताल प्रबंधन अपनी कमियों पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहा है।
डिप्टी एसएस की सूचना पर भी नहीं पहुंचते चिकित्सक
ट्रेन से अगर किसी गंभीर मरीज को इलाज के लिए ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर उतारा जाता है, तो ऐसी स्थिति में रेलवे स्टेशन पर मौजूद डिप्टी एसएस रेलवे अस्पताल के चिकित्सक को फोन पर सूचना देते हैं, लेकिन उसके बाद भी चिकित्सक स्टेशन पर नहीं पहुंचते हैं।
हर रोज आते हैं लगभग 100 मरीज
बताया जाता है कि अस्पताल में हर रोज लगभग 100 से अधिक मरीज अस्पताल में अपना उपचार कराने आते हैं। लेकिन यहां पर सबसे ज्यादा मरीज चोट लगने के बाद पट्टी कराने आते हैं। लेकिन इन दिनों मरीजों की पट्टी सफाई कर्मचारियों द्वारा कराई जा रही है। बताया जाता है कि अस्पताल में पिछले चार साल से ड्रेसर नहीं है। यहां तक कि सफाई कर्मचरियों को रेलवे स्टेशन पर दवा देने के लिए भेज दिया जाता है।
इनको मिलता है इलाज
रेलवे अस्पताल में सभी रेलकर्मियों व उनके परिवारवालों के साथ सेवानिवृत रेलकर्मियों का इलाज भी यहीं होता है। सवारी माल डिब्बा कारखाना, लोको कारखाना, निर्माण इकाई के अधिकारियों व कर्मचारियों का भी इसी अस्पताल में इलाज किया जाता है। उधर रेलवे अस्पताल से अक्सर चिकित्सक मरीज को जयारोग्य अस्पताल, ट्रॉमा सेंटर, बिरला अस्पताल भेज देते हैं।
इनका कहना है
मेरे पास रेलवे स्टेशन से जब भी फोन आता है, मैं तुरंत वहां पहुंच जाता हूं।
डॉ. हिमांशु शर्मा
वरिष्ठ क्षेत्रीय चिकित्सा अधिकारी