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राष्ट्रकवि गुप्त को श्रद्धासुमन अर्पित

झांसी। राष्ट्रकवि स्मृति के तत्वावधान में स्थानीय सिविल लाइन्स स्थित राष्ट्रकवि निवास में पद्म विभूषण राष्ट्रकवि डा.मैथिलीशरण गुप्त को उनकी 52वीं पुण्यतिथि के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

सर्वपथम दद्दा के चित्र पर पूर्व सिंचाई बंधु के उपाध्यक्ष पं.राकेश कुमार दुबे, पूर्व राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा, दद्दा के पौत्र सौरभ गुप्त, डा.वैभव गुप्त द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो.डा. अनिल सोलंकी ने कहा कि जहां-जहां तक हिन्दी के जानने वाले लोग है, वहां-वहां तक दद्दा को श्रद्धा के साथ स्मरण किया जाता है। विमलेन्दु अडज़रिया ने कहा कि सरकारें और प्रशासनिक मशीनरी हिन्दी को राष्ट्र भाषा की बात करती है किंतु इसको धरातल पर उतारने की मंशा पर पूरी तरह बेमानी प्रतीत होती है। दद्दा को सही मायनों में श्रद्धांजलि तभी मानी जाएगी जब हिन्दी राष्ट्र भाषा होगी। इस अवसर पर उपस्थित गणमान नागरिकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा स्थानीय बीआईईटी इंजीनियरिंग कालेज का नाम राष्ट्रकवि जी के नाम पर रखने का जो ऐलान किया गया था उसको भी अमलीजामा पहनाने की पूरी जोर शोर से मांग की। वक्ताओं ने जिला प्रशासन से कहा कि राष्ट्रकवि की स्मृति में बना पार्क में उनकी प्रतिमा तत्काल लगवाई जाए और राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रकवि शोध संस्थान की स्थापना हो, ताकि आने वाली पीढ़ी ऐसे महापुरुषों द्वारा किये गए कार्यों का अनुसरण कर सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता नवल किशोर अग्रवाल ने की।

प्रमुख वक्ताओं में मदन मानव, कुंवर रामपाल निरंजन, त्रिभुवननाथ त्रिवेदी, रामशंकर भारती, कपिल रेजा, विवेक अग्रवाल एड., मोहन तिवारी, सुरेश अडज़रिया, अशोक राय, अजय साहू, विजय कुशवाहा एड. सहित दर्जनों लोगों ने दद्दा के संस्मरण सुनाकर दद्दा को श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन कुंवर बहादुर आदिम ने किया। आभार दद्दा के पौत्र ई.सौरभ गुप्ता ने व्यक्त किया।

Updated : 13 Dec 2016 12:00 AM GMT
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