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भगवान श्रीराम का पूरा जीवन यज्ञ से रहा प्रेरित-आचार्य स्वदेश

मथुरा। संसार के उपकार को ध्यान में रखते हुए मसानी चौराहा स्थित गुरु विरजानन्द आर्य गुरुकुल वेद मंदिर में चल रहे चतुर्वेद पारायण यज्ञ के चौथे दिन याज्ञिकों द्वारा ऋग्वेद के मंत्रों से आहुतियां दी। प्रवचन में वेद मंदिर के अधिष्ठाता आचार्य स्वदेश महाराज ने कहा कि यज्ञौ वै श्रैष्ठतं कर्मरू यज्ञ विश्व का सर्वश्रेष्ठ कर्म है। हमारे महापुरुषों ने यज्ञ अनुष्ठान को श्रेष्ठतम माना है।

उन्होंने कहा भगवान रामचन्द्र का पूरा जीवन यज्ञ से प्रेरित रहा है। आचार्य श्री ने यज्ञ का वैज्ञानिक लाभ बताते हुए कहा कि यज्ञ के द्वारा वायुमण्डल शुद्ध होता है और जब वायुमण्डल शुद्ध होगा तो हमें श्वसन क्रिया में श्वांस शुद्ध मिलेगी जिससे हम स्वस्थ रहेगें। धार्मिक कार्य सर्वसाधारण के कल्याण को ध्यान में रखकर किये जाते हैं। बिना सर्वसाधारणजनों के सहयोग से इनका पूरा होना असंभव है और सबकी सहभागिता के बिना यह कार्य निरर्थक है। वेदपाठ गुरुकुल विश्वविद्यालय वृन्दावन के ब्रम्हचारियों द्वारा किया जा रहा है। याज्ञिक प्रतिदिन आर्योपदेशक उदयवीर सिंह, देवी सिंह व कमलेदव आर्य के भजनों का लाभ उठा रहे हैं।

मंदिर के मीडिया प्रभारी विवेक प्रिय आर्य ने बताया कि वेद मंदिर परिसर में चतुर्वेद परायण यज्ञ का समापन 25 दिसम्बर को भण्डारे के साथ होगा। यज्ञ के प्रथम दिन आचार्य स्वदेेश महाराज व कृष्णवीर शर्मा द्वारा वेद मंदिर परिसर में अतिथिशाला का शिलांयास किया गया। यज्ञ में प्रमुख रूप से आचार्य शत्रुजित शास्त्री, पं.विपिन बिहारी, धर्मेन्द्रनाथ सक्सैना, प्रेम सिंह जादौन, राजन सिंह आदि मौजूद रहे।a

Updated : 10 Dec 2016 12:00 AM GMT
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