नया पैदल पुल बना परेशानी का सबब, अनदेखी के चलते लटका एस्केलेटर का निर्माण

ग्वालियर। रेलवे अधिकारियों की अनदेखी के चलते स्टेशन पर बन रहा एस्केलेटर का कार्य रुक गया है। वहीं इस स्थान पर बनाया गया नया पैदल पुल लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है।
बताया जाता है कि आला अधिकारियों पर एस्केलेटर लगाने वाली कंपनी हाबी है, यही कारण है कि एस्केलेटर के लिए बनाए गए ढांचे पर सीढिय़ां बना दी गईं हैं। सूत्र बताते हैं कि पूर्व में एस्केलेटर के लिए अनुबंध भी हो चुका था उसे भी अधिकारियों ने संाठगांठ कर खत्म करा दिया। स्टेशन पर पिछले एक वर्ष से एस्केलटेर के निर्माण की प्रक्रिया रुकी हुई है।
सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों ने सांठगांठ कर आनन-फानन में नोयडा की कंपनी से एस्केलेटर की जगह नया पैदल पुल बनवा दिया। वहीं एस्केलेटर के लिए जगह तक नहीं छोड़ी गई,जबकि पूरा काम एस्केलेटर के लिये किया गया था। लेकिन अब यह नया पुल यात्रियों के लिए परेशानी बनता जा रहा है।
2011 में दिए थे आदेश
2011 में रेलवे बोर्ड के तत्कालीन डायरेक्टर संजीव मिश्रा ने ग्वालियर, आगरा और झांसी में एस्केलेटर लगाने के आदेश दिए थे। एस्केलेटर निर्माण का कार्य गुडग़ांव की जॉन समलिट्स कंपनी को सौंपा गया था। कंपनी को 2013 में काम शुरू करना था। इसके लिए प्लेटफार्म की छत की तुड़ाई करवाकर वहां से ओवर ब्रिज तैयार कराया गया था। लेकिन उसने इसे पूरा नहीं किया।
बाहर से बनना था पुल
पैदल पुल वर्तमान में प्लेटफार्म क्रमांक 1 से 4 तक तैयार कराया गया है जबकि उसे प्लेटफार्म 1 के बाहर से प्लेटफार्म 4 के सर्कुलेटिंग एरिया तक तैयार किया जाना था। 24 जुलाई 2015 में ग्वालियर आए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल ने कहा था कि एस्केलेटर के लिए बनाया गया पैदल पुल कुछ ऊंचा बन गया है। इसके चलते इसका उपयोग भी कम होता है।
इस साल भी नहीं होगा पूरा कार्य
सूत्रों की मानें तो ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर प्रस्तावित एस्कलेटर का काम इस साल भी पूरा होने के आसार नहीं है। यात्रियों को स्टेशन पर एस्केलेटर की सुविधा मिलने के लिए अभी लगभग 4 माह का समय और लगेगा। सूत्रों की मानें तो अब डीआरएम ने जॉनसन कंपनी को आदेश कर जल्द काम शुरू करने के लिए कहा है।
ये हैं परेशानी
रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक एक पर बने पुल से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
* ट्रेन आते ही यात्री सीधे दौड़ लगाते हंै,लेकिन पुल बनने से यात्री बिलकुल ट्रेन से सटकर निकलते हंै। जिससे आए दिन हादसे की आशंका बनी रहती है।