यम की फांस से छुटकारा पाने को यम द्वितीया पर उमड़ा भाई-बहिनों का रेला
मथुरा। यमद्वितीया (भैयादौज) का पर्व मंगलवार को परंपरागत ढंग से एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। पतिप पावनी यमुना जी में लाखों श्रद्धालु भाई-बहिनों द्वारा एक साथ डुबकी लगाकर यम की फांस से मुक्ति की कामना की गयी। घर-घर बहिनों द्वारा भाईयों के माथे पर टीका करने और उपहार लेने की धूम रही। मंदिरों में दर्शनों के लिये श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। बाहर से आये श्रद्धालुओं के कारण शहर में गहमा-गहमी रही।
ब्रजवासियों के अलावा बाहर से आये श्रद्धालुओं का अद्र्धरात्रि के बाद से ही यमुना के घाटों की ओर जाना प्रारंभ हो गया। सुबह होते-होते श्रद्धालुओं की भीड़ में वृद्धि होती गयी। श्रद्धालुओं की सर्वाधिक भीड़ का दबाव विश्राम घाट पर रहा। श्रद्धालु भाई-बहिन एक दूसरे का हाथ पकड़े यमुना में स्नान करते हुए प्रसन्नचित्त नजर आ रहे थे और अपने-आपको धन्य मान रहे थे।
इस दौरान जै यमुना मैया के जयकारे गुंजायमान हो रहे थे। स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं द्वारा सूर्यनारायण को जल चढ़ाया तथा माँ यमुना महारानी की दुध, पेड़ा, दीप, धूप, पुष्प आदि से पूजा-अर्चना की गयी। इसके पश्चात् बहिनों द्वारा भाईयों के माथे पर टीका कर भोजन कराया गया। भाईयों द्वारा बहिनों को उपहार प्रदान करते हुए उनके सम्मान को बनाये रखने का वचन दिया गया।
यमद्वितीया पर्व को लेकर जिला व पुलिस प्रशासन तथा नगर पालिका परिषद द्वारा व्यापक व्यवस्थायें की गयी थी। स्नानार्थियों को गहरे पानी में जाने से रोकने को बल्लियां लगाकर बैरिकेडिंग की गयी थी। नावें लगायी गई थीं। स्नानार्थियों को बार-बार लाउडस्पीकर से चेतावनी दी जा रही थी। नगर पालिका परिषद द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से नाव, गोताखोरों की व्यवस्था की गयी थी। जिसमें कुछ नावों द्वारा प्रशासनिक अधिकारी निरंतर गश्त कर मेले पर नजर रख रहे थे।
घाटों पर विशेष सफाई के साथ प्रकाश की समुचित व्यवस्था की गयी थी। सहायता शिविर में कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात थे। वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के साथ ही यातायात की माकूल व्यवस्थायें की गयी थीं। विश्राम घाट पर प्रवेश व निकास द्वार बनाये गये थे। मोटर बोट से तैराक निरंतर गश्त करते हुए स्नानार्थियों पर नजर रख रहे थे। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने कड़े बंदोबस्त किये थे। विश्राम घाट व अन्य घाटों की ओर जाने वाले मार्गों पर वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था। इसके अलावा माथुर चतुर्वेद परिषद सहित अन्य समाज सेवी संगठनों द्वारा स्नानार्थियों की सहायतार्थ खोया पाया व चिकित्सा शिविर लगाये गये थे।
भैया दौज के पर्व पर घर-घर बहिनों द्वारा भाईयों के माथे पर टीका कर मुँह मीठा किया गया। इस पर भाईयों द्वारा बहिनों को उपहार दिये गये साथ ही उनके सम्मान को बनाये रखने का वचन दिया गया। घर-घर महिलाओं द्वारा दौज की कथा का वाचन और श्रवण करते हुए पूजा करने की धूम रही। मिठाईयों की दुकान पर भीड़ रही। मंदिर द्वारिकाधीश व श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित मंदिर सहित अन्य मंदिरों में दर्शनों के लिये श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। बाहरी यात्रियों के कारण शहर में गहमा-गहमी का माहौल व्याप्त रहा।