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राजस्थान से आई हैं पहाड़ाय वाली माता

राजस्थान से आई हैं पहाड़ाय वाली माता
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प्रतिदिन लगता है दूध का भोग
प्रशांत शर्मा/ग्वालियर। जो भक्त मां पहाड़ाय वाली मां के दर्शन करता है उन सभी की मनोकामना पूरी होती है। नईसडक़ पर स्थित मंदिर में मां वाघेश्वरी की प्रतिमा को राजस्थान से लाकर यहां विराजित किया गया है। नवरात्रों पर यहां मां के दर्शनों के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं।

पांच सौ साल पुराना है पहाड़ाय वाली माता का मंदिर
मंदिर के पुजारी घनश्याम दास ने बताया कि यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। उनके पूर्वज राजस्थान से मां बाघेश्वरी की प्रतिमा को यहां लेकर आए थे। उस समय यहां पर सिर्फ पहाड़ी ही हुआ करती थी, इस कारण इनका नाम पहाड़ाय़ वाली माता पड़ गया। श्री शर्मा ने बताया कि उनकी पांचवी पीढ़ी इस मंदिर की सेवा कर रही है।

मनोकामना पूर्ण होने पर चढ़ाते हैं छत्र और घण्टी
पहाड़ाय वाली माता पर नारियल, लाल वस्त्र, सिन्दूर, धूप, दीप आदि चढ़ा कर पूजा की - अर्चना की जाती है। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु घण्टी या छत्र चढ़ाते हैं। विवाहित स्त्रियां यहां आकर मां से अपने अटल सुहाग की कामना करती हैं। शारदीय नवरात्र के दौरान इस सिद्ध पीठ में मां की पूजा अर्चना का विशेष फल मिलता है।

नारियल से लगती है अर्जी
मंदिर के पुजारी घनश्यामदास शर्मा ने बताया कि इस मंदिर में अर्जी लगाने से मनोकामना की पूर्ति होती है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु मंदिर में नारियल के साथ अपनी मनोकामना की अर्जी लगाते हैं। जिसमें श्रद्धालु नारियल के साथ सुपारी, हल्दी, चावल के साथ अपनी अर्जी की पर्ची रखते हैं। वहीं श्रद्धालु बताते हैं कि जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, तब वे मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्र के दिनों के अलावा भी माता को प्रत्येक दिन रात्रि 9 बजे दूध का भोग लगाया जाता है। वैसे माता को पेड़े, इलाइची दाने आदि का भोग भी लगाया जाता है। श्री शर्मा ने बताया कि मां पहाड़ाय के मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। सच्चे मन से मां की पूजा करने वाले भक्त निराश नहीं होते बल्कि मां उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। इसलिए प्रति दिन यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

Updated : 8 Oct 2016 12:00 AM GMT
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