परिवहन विभाग बना घपले-घोटालों की खान

परिवहन विभाग बना घपले-घोटालों की खान
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ग्वालियर, न.सं.। परिवहन विभाग का प्रदेश मुख्यालय ग्वालियर में है। इसे विडम्बना ही कहेंगे कि परिवहन आयुक्त के यहीं बैठने के बावजूद यह विभाग घपले-घोटालों की खान बन गया है। सूत्रों के अनुसार परिवहन आयुक्त डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव की नाक के नीचे उनके संरक्षण में ही कार्यालय के बाबू व अन्य कर्मचारी खुलेआम बड़ा अवैध लेन-देन कर रहे हैं। अंचल में स्थापित तमाम बैरियरों पर करोड़ों की अवैध धन उगाही तो जैसे अब आम बात हो गई है, लेकिन इसके अलावा भी जिलों के तमाम क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय सवारी वाहनों व बसों आदि के संचालन में भी भारी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है, अकेले ग्वालियर की ही बात की जाए तो यहां शहर में संचालित टैम्पो एवं ऑटो आदि के परमिटों में जमकर धन उगाही का बहुत बड़ा खेल चल रहा है। इसमें ध्यान देने योग्य बात तो यह है कि काली कमाई का यह खेल परिवहन आयुक्त डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव की नाक के नीचे ही हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि ग्वालियर परिवहन विभाग का प्रदेश मुख्यालय है। यहां पर परिवहन आयुक्त का कार्यालय भी है। आजकल यह कार्यालय परिवहन क्षेत्र से जुडे तमाम कार्यों में धन उगाही का केन्द्र बनता जा रहा है। स्वदेश ने अपने बुधवार के अंक में बैरियरों व करोड़ो की वसूली में संबंधित समाचार का मुख्य रूप से प्रकाशन किया था। यहां चल रहे काले कारोबार की बात यहीं पर समाप्त नहीं होती है, अन्य राज्यों को जाने वाली बसों के परमिट में भी भ्रष्टाचार के चलते नियमों की सरेआम अनदेखी की जा रही है। हालांकि क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय का कार्य जिला स्तर पर संचालित कार्यालय में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी की देखरेख मेें किया जा रहा है। खुलेआम ग्वालियर के इस दफ्तर में परिवहन से जुड़े तमाम सरकारी कार्यों को लेकर दलाली जारी है। यहां तक की इन कर्मचारियों ने अपने विविध कार्यों के लिए रेट तक निर्धारित कर रखे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि परिवहन आयुक्त सब कुछ अच्छी तरह से जानते हुए कुछ भी नहीं करना चाहते। सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर सहित मध्यप्रदेश के सभी जिलों में परिवहन आयुक्त की शह पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अपनी सीट पर नहीं बैठते हैं। इनकी जगह पर बाबुओं के माध्यम से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है।

वहीं कुछ बाबू तो अपने घर में बैठकर कार्यालय का संचालन कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो दलाली की कीमतें भी दस गुणा ज्यादा तक बढ़ा दी गई हैं और उस पर खुलेआम धमकी दी जाती है कि मुझे किसे कोई डर नहीं है।
ग्वालियर की बात करें तो यहां पदस्थ एक बाबू पिछले ग्यारह वर्षों से परमिट शाखा में पदस्थ रहकर खुलेआम भ्रष्टाचार में लिप्त है। सूत्रों का कहना है कि इसे परिवहन आयुक्त का खुला संरक्षण है। यह वजह है कि इसके द्वारा शासकीय नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं। जानकारी के अनुसार इस बाबू के खिलाफ शहर में बड़ी जमीन-जायदाद होने की बात भी सामने आ चुकी है। हालत इतनी गंभीर है कि संबंधित बाबू के खिलाफ तमाम शिकायतें परिवहन आयुक्त को की गईं परंतु आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाल ही में इसे लेकर एक आरटीआई भी लगाई गई उसे भी कूड़ेदान में डाल दिया गया। यहां तक की परिवहन मंत्री कार्यालय ने भी एक पत्र को परिवहन आयुक्त ग्वालियर को दिया जिसका पत्र क्रमांक 2389 था, पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यहां तक की ऐसे ही कर्मचारी की तमाम अनियमितताओं और शिकायतों के बाद प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने परिवहन मंत्री को लिखित में पत्र भेजकर इसकी जानकारी भी दी और ऐसे कर्मचारी के अन्यत्र स्थानांतरण का आग्रह किया लेकिन इसे भी दर किनार कर दिया गया।

यह हैं अनियमितताएं:-

पाठकों को यह जानना भी बेहद जरूरी है कि परिवहन आयुक्त की शह पर ग्वालियर का आरटीओ कार्यालय किस प्रकार शासन के आदेशों का ही खुलेआम उल्लंघन करके चांदी काट रहा है। इन सभी बातों को लेकर भारतीय प्राइवेट ट्रांसपोर्ट मजदूर महासंघ द्वारा इस प्रकार की शिकायतें परिवहन आयुक्त से की गईं, लेकिन आयुक्त ने सभी शिकायतों को कूड़ेदान में डाल दिया। वहीं हाल ही में महासंघ द्वारा परिवहन विभाग में व्याप्त घपले और घोटालों को लेकर मोतीमहल पर एक दिवसीय धरना भी दिया गया था।

शहर में धड़ल्ले से चल रहे हैं अवैध ऑटो और टेम्पो:-

परिवहन विभाग की कृपा से इस समय शहर में धड़ल्ले से अवैध ऑटो और टेम्पो का संचालन किया जा रहा है। इनसे शहर में प्रदूषण का प्रतिशत दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। जानकारी के अनुसार 1993 में ग्वालियर महानगर के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा 6+1 के 734 परमिटों की सीलिंग की गई थी। परन्तु वर्ष 2006 से 2014 के बीच वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में एक बाबू ने सीलिंग को ताक पर रखते हुए 68 परमिट करोड़ों रुपए में बेच दिए। इस प्रकार से अब परमिट वाले टेम्पों की संख्या 802 हो गई, जबकि शहर में इस समय 1038 टैम्पो का संचालन किया जा रहा है। इसमें मजेदार बात यह है कि शहर में 236 टेम्पो मोटे लेन देन पर अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहर में लगभग चार हजार की संख्या में अवैध ऑटो का संचालन भी किया जा रहा है।

आयुक्त ने नहीं उठाया फोन:-

इस खबर के संबंध में प्रतिक्रिया लेने के लिए जब परिवहन आयुक्त डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव से कई बार संपर्क करना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया और मैसेज के बाद भी कॉल नहीं किया।

‘परिवहन विभाग घपले और घोटालों की खान बन गया है। परिवहन आयुक्त शैलेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा विभाग का कार्यभार संभालने से लेकर आज तक स्थिति खराब है। पूरे प्रदेश के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अपने-अपने घरों पर बैठकर काम कर रहे हैं और उनके गुर्गे विभाग को चला रहे हैं। शहर में इस समय बड़ी संख्या में अवैध टैम्पो और ऑटो का संचालन किया जा रहा है। परिवहन विभाग में इस समय भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है।


नरेन्द्र सिंह कुशवाह
प्रदेश अध्यक्ष
भारतीय प्राइवेट ट्रांसपोर्ट मजदूर महासंघ

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