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फिर विवादों में है जेएनयू

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर विवादों में है। इस बार तो यहां के छात्रों ने सारी सीमाओं को तोड़ते हुए कुलपति एम.जगदीश कुमार सहित अन्य अधिकारियों को उनके ही कार्यालय में बंधक बना दिया। उल्लेखनीय है कि जेएनयू में हमेशा से ही वामपंथ हावी रहा है। आए दिन यहां ऐसी गतिविधियां सामने आती हैं जिनसे केवल विश्वविद्यालय प्रबंधन ही नहीं पूरा देश शर्मसार होता है।

कुछ समय पहले यहां देश विरोधी नारे लगाए जाने पर बवाल हुआ था। इसके बाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता कन्हैया कुमार को भडक़ाऊ भाषण देने और छात्रों को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था। लेकिन इसके बाद विभिन्न राजनैतिक दलों ने देश हित को ध्यान में न रखते हुए इसे लेकर जो राजनीति की वह किसी से छुपी नहीं है। सवाल यह है कि आखिर बार-बार इस विश्वविद्यालय में ऐसी घटनाएं क्यों होती है और इन पर अंकुश क्यों नहीं लगाया जा रहा? इधर इस बार एक छात्र नजीब अहमद के अचानक लापता होने को लेकर विश्वविद्यालय में तनाव का माहौल है।

स्थिति सुधरने की जगह लगातार बिगड़ती जा रही है। यहां तक कि घटना से गुस्साए लगभग दो सैकड़ा छात्रों ने इसके विरोध में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन की घेराबंदी कर कुलपति, रैक्टर, प्रोक्टर, डीएसडब्ल्यू और रजिस्ट्रार सहित कई अन्य अधिकारियों को भी बंधक बना लिया। बताया जाता है कि स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी विभाग के इस छात्र का एक रोज पहले ही विश्वविद्यालय परिसर में कुछ अन्य छात्रों से झगड़ा हुआ था और उसके बाद से वह कथित रूप से लापता है। हांलाकि इस मामले में शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने छात्र का पता बताने वाले के लिए पचास हजार के इनाम की घोषणा भी की है, साथ ही उसका स्केच भी जारी किया है तो गृह मंत्रालय ने भी पुलिस तथा जेएनयू प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। इधर इसे लेकर दो छात्र गुट आमने-सामने आ गए हैं और इस घटना के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं। लेकिन देखने वाली बात यह है कि आखिर इस विश्वविद्यालय में ही बार-बार ऐसी घटनाएं क्यों होती हैं और जब ऐसी स्थिति बनती है तो राजनीतिक दल अपने स्वार्थों के लिए इसे और बढ़ावा देने लगते हैं।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि देश की नामचीन जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी का नाम आए दिन ऐसे विवादों को लेकर चर्चा में रहता है, इसके पीछे क्या कारण हैं। यहां तक कि इसके परिसर में देश विरोधी नारे तक लग जाते हैं और हम केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेकनें में ही लगे रहते हैं, शिक्षा के मंदिरों से यह राजनीति वह भी देश और उसकी नीतियों के खिलाफ होना वास्तव में एक सोचनीय विषय है। फिलहाल तो जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) एक नए विवाद ,छात्र के लापता हो जाने को लेकर चर्चा में है, लेकिन आवश्यकता यह है कि जब तक इस पर राजनीति शुरू हो मामले का निपटारा हो जाना ही बेहतर होगा।

Updated : 21 Oct 2016 12:00 AM GMT
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