दूसरे एकदिवसीय मैच में कीवियों पर दबदबा कायम रखने उतरेगी टीम इंडिया

दूसरे एकदिवसीय मैच में कीवियों पर दबदबा कायम रखने उतरेगी टीम इंडिया
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नई दिल्ली| मुख्य कोच अनिल कुंबले के ‘परफेक्ट टेन’ का पराक्रम स्थल, कप्तान की महेंद्र सिंह धोनी की विजय गाथा का गवाह और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली के घरेलू मैदान फिरोजशाह कोटला में भारतीय क्रिकेट टीम गुरुवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाले दूसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में जीत के अपने अभियान में नया अध्याय जोड़ने के लिये उतरेगी।

भारत के लिये फिरोजशाह कोटला हमेशा से भाग्यशाली रहा। कुंबले का यह पसंदीदा मैदान है। धोनी ने राष्ट्रीय ही नहीं अपनी आईपीएल टीमों की कप्तानी करते हुए भी अधिकतर यहां जीत दर्ज की है जबकि कोहली ने इसी मैदान से अपने करियर की स्वर्णिम शुरुआत की थी। भारत ने पिछले 11 साल से यहां कोई मैच नहीं गंवाया और वर्तमान परिस्थितियों में जिस तरह से वह टेस्ट से लेकर पहले वनडे तक कीवी टीम पर हावी है उससे धोनी एंड कंपनी के लिये कोटला एक और शानदार जीत का गवाह बन सकता है। टेस्ट श्रृंखला में कीवियों का 3-0 से सूपड़ा साफ करने के बाद भारत ने धर्मशाला में पहले वनडे में भी एकतरफा जीत दर्ज की थी। अगले साल इंग्लैंड में होने वाली चैंपियन्स ट्राफी को ध्यान में रखकर इस श्रृंखला में उतरी भारतीय टीम के हौसले बुलंद हैं लेकिन खिलाड़ियों में ‘कभी किसी को कम नहीं आंकने’ की नई सोच से यह तय है कि वे इस मैच में भी किसी तरह की कमी छोड़ने की कोशिश नहीं करेंगे।

कोटला की पिच अमूमन धीमी और स्पिनरों की मददगार मानी जाती रही है लेकिन इस बार दावा किया है कि उसमें तेजी और उछाल होगी। स्वाभाविक है ऐसे में अगर तेज गेंदबाजों को कुछ मदद मिलेगी तो कोहली, रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे जैसे स्ट्रोक प्लेयर इसे पसंद भी करेंगे। यदि पिच ने दावों के अनुरूप प्रदर्शन किया तो दर्शकों को एक रोमांचक मैच देखने को मिल सकता है।

यदि पिच में उछाल रहती है तो उमेश यादव के साथ गेंदबाजी का आगाज करने वाले हार्दिक पंड्या अपनी ‘भ्रामक’ गेंदबाजी से धर्मशाला की तरह केन विलियमसन और उनके साथियों को परेशान कर सकते हैं। जसप्रीत बुमराह किसी भी परिस्थिति में अच्छा प्रदर्शन करने में माहिर हैं जबकि स्पिन विभाग के अगुआ अमित मिश्रा को हमेशा कोटला पसंद आया है। यदि पिच अपने पुराने मिजाज पर लौट आती है तो फिर अक्षर पटेल और कामचलाउ स्पिनर केदार जाधव को बड़ी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी। लेकिन निसंदेह सभी की निगाह कोहली पर टिकी रहेगी जो पिछले कुछ वषरें में विश्व क्रिकेट पटल पर ‘विराट मानव’ के रूप में उभर कर सामने आये हैं। धर्मशाला में उन्होंने जबर्दस्त पारी खेली और अब उन पर कोटला में अपने घरेलू दर्शकों के सामने बड़ी पारी खेलने की लालसा बलवती हो रही होगी।



कोहली ने कोटला में टेस्ट और वनडे में मिलाकर अब तक आठ पारियां खेली हैं लेकिन उनके नाम पर केवल एक शतक दर्ज है जो उन्होंने 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ (नाबाद 112 रन) बनाया था। अपनी अच्छी शुरूआत को बड़ी पारी में बदलने में माहिर इस स्टार बल्लेबाज पर मध्यक्रम की बड़ी जिम्मेदारी है लेकिन कप्तान धोनी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है जो बड़ा स्कोर बनाने के लिये लालयित हैं। धोनी ने धर्मशाला में यह जाहिर कर दिया था कि वह फिर से फिनिशर की अपनी भूमिका में उतरना चाहते हैं। पहले मैच में वह 21 रन बनाकर रन आउट हो गये लेकिन यदि यहां उनको मौका मिलता है तो फिर दिल्ली के दर्शकों को उनका पुराना रूप देखने को मिलेगा।

न्यूजीलैंड की टीम की बात करें तो उसके खिलाड़ी टेस्ट और पहले वनडे की हार के बाद काफी दबाव में हैं। उनकी बल्लेबाजी और आसानी से विकेट गंवाने की प्रवृति देखकर लगता है कि वे मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये मानसिक तौर पर मजबूत नहीं हैं। कप्तान विलियमसन भी कोहली के टक्कर के बल्लेबाज हैं लेकिन अब इस दौरे में वह अपने बल्ले का जलवा दिखाने में नाकाम रहे हैं। मार्टिन गुप्टिल और रोस टेलर जैसे अनुभवी बल्लेबाजों की लगातार असफलता से भी न्यूजीलैंड पर दबाव बना है जबकि ल्यूक रोंकी टुकड़ों में अच्छा प्रदर्शन कर पाये हैं। कोरे एंडरसन और जेम्स नीशाम जैसे अच्छे आलराउंडर टीम में संतुलन पैदा करते हैं लेकिन उन्हें मैदान में भी इसे मूर्तरूप देने की जरूरत है।

न्यूजीलैंड टीम प्रबंधन उम्मीद कर रहा होगा कि उसके बाकी खिलाड़ी सलामी बल्लेबाज टाम लैथम से प्रेरणा लेंगे जिन्होंने पहले वनडे में एक तरफ से विकेट झड़ने के बावजूद दूसरे छोर पर सहजता से बल्लेबाजी और आखिर तक नाबाद रहे। टिम साउथी और डग ब्रेसवेल अनुकूल परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं जबकि स्पिनर ईश सोढ़ी और मिशेल सैंटनर को अब नहीं सूझ रहा है कि स्पिनरों को खेलने में पारंगत भारतीय बल्लेबाजों पर कैसे शिकंजा कसा जाए।

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