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फिर से अस्तित्व में आएगी सरस्वती नदी: उमा

फिर से अस्तित्व में आएगी सरस्वती नदी: उमा
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सरस्वती नदी के पुख्ता प्रमाण मिले, वैज्ञानिकों ने सौंपी रिपोर्ट

ग्वालियर। हमारे भू-गर्भ वैज्ञानिकों ने सदियों से विलुप्त सरस्वती नदी को वैज्ञानिक तरीके से खोज निकाला है। सरस्वती नदी की खोज के प्रख्यात भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. के.एस. वाल्दिया की अध्यक्षता में गठित वैज्ञानिकों के विशेष दल ने विगत शनिवार को ही अपनी रिपोर्ट मुझे सौंप दी है। इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद जल्द से जल्द सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। रविवार को ग्वालियर प्रवास पर आईं केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने यह जानकारी पत्रकारों को दी। सुश्री भारती ने कहा कि सरस्वती नदी की खोज पिछले कई सालों से चल रही थी।

इस बीच जब-जब नई सरकार बनी, तब-तब नई-नई समितियां भी बनीं, जो समय-समय पर भंग होती रहीं, लेकिन जब केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी तो हमारे मंत्रालय ने नामचीन भूगर्भ वैज्ञानिकों की एक समिति बनाई, जिसने मात्र छह माह में वैज्ञानिक तरीके से सरस्वती नदी का पूरा मार्ग खोज निकाला। करीब चार कि.मी. लम्बी सरस्वती नदी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के सूखे इलकों से होते हुए प्रयाग में गंगा और यमुना के साथ संगम करती है। सुश्री भारती ने कहा कि सरस्वती नदी की खोज ऐतिहासिक दृष्टि से ही नहीं अपितु आर्थिक दृष्टि से भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है। इस नदी को जब पुनर्जीवित किया जाएगा, तब न केवल हमें वेशकीमती भू-खनिज प्राप्त होगा अपितु भू-जल स्तर भी बढ़ेगा और हजारों गांव समृद्ध बनेंगे। एक प्रश्न पर सुश्री भारती ने स्पष्ट किया कि गंगा और सरस्वती नदी का बजट अलग-अलग है। गंगा के लिए 20 हजार करोड़ तो सरस्तवी के लिए छह हजार करोड़ का बजट मिला है।

रिपोर्ट को कोई चुनौती नहीं दे सकता

विगत शनिवार को वैज्ञानिकों के विशेष दल द्वारा सरस्वती नदी की खोज के संबंध में सौंपी गई रिपोर्ट को विश्व की सबसे प्रामाणिक रिपोर्ट करार देते हुए केन्द्रीय मंत्री सुश्री भरती ने कहा कि इस रिपोर्ट को कोई चुनौती नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से प्रमाणित हो गया है कि हिमालय के आदि बद्री से निकलकर पश्चिम में हड़प्पा कालीन नगर धौलावीरा तक सरस्वती नदी बहती थी। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों को आदि बद्री से कच्छ के रण से होकर धौलावीरा तक करीब चार हजार कि.मी. तक जमीन के भीतर विशाल जल भण्डार का भी पता चला है, जिससे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के अहम इलाकों की प्यास बुझाई जा सकती है। सुश्री भारती ने बताया कि वे सरस्वती नदी की इस रिपोर्ट पर मंथन के लिए जल्द ही एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेंगी।

Updated : 17 Oct 2016 12:00 AM GMT
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