आखिर क्यों अटका है नए अस्पताल का निर्माण

छह वर्ष पूर्व हुआ था भूमि पूजन
ग्वालियर। अंचल से लेकर आसपास के राज्यों से भी विभिन्न बीमारियों का उपचार कराने शहर में स्थित जयारोग्य अस्पताल में आने वाले वह मरीज मामूली से लेकर गंभीर बीमारियों तक का उपचार कराने यहां इस उद्धेश्य से आते हैं कि वे पूर्णत: स्वस्थ होकर यहां से जाएंगे। लेकिन जिस जर्जर स्थिति में आज इस अस्पताल की मुख्य इमारत है उसे देखकर लगता है कि यहां भर्ती मरीजों के साथ ही उनके परिजन, चिकित्सक तथा अन्य कर्मचारी भी सुरक्षित नहीं हैं। इसे देखते हुए वर्ष 2009 में एक हजार पलंगों वाले अस्पताल के निर्माण कार्य का निर्णय लिया गया था। लेकिन राजनीतिक दांवपेंच में फंसने के कारण आज तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका है।
उल्लेखनीय है कि लगभग 11 वर्ष पूर्व लोक निर्माण विभाग सहित विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जयारोग्य अस्पताल की इस मुख्य इमारत (पत्थर वाले भवन)को जर्जर होने के कारण असुरक्षित घोषित कर दिया गया है। इसके बावजूद भी इसकी अनदेखी की जा रही है। आए दिन इस इमारत के अलग अलग हिस्सों के दरकने और गिरने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। कुछ वर्ष पहले यहां भर्ती मरीज पर पंखा गिर गया था तो इसी बीच एक बार स्वास्थ्य मंत्री के भ्रमण के दौरान एक पत्थर गिरा था। पिछले वर्ष इमारत के आगे की ओर का एक छज्जा टूट कर गिरा था, इसमें कोई हताहत तो नहीं हुआ लेकिन इन घटनाओं के बावजूद शासन, प्रशासन और सम्बन्धित विभाग की आंखे नहीं खुलीं। जिसके चलते ना तो इसे अब तक खाली कराया गया और ना ही उस एक हजार पलंग वाले अस्पताल के निर्माण को लेकर कोई गंभीरता दिखाई जा रही है।
ऐसे लिया गया नए अस्पताल के निर्माण का निर्णय
हालांकि लोकनिर्माण विभाग ने लगभग 11 वर्ष पहले जयारोग्य अस्ताल की इस इमारत को कंडम और खतरनाक घोषित करते हुए अपनी रिपोर्ट अस्पताल प्रबंधन को सौंपी थी। इसके बाद भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। वहीं वर्ष 2009 में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री और वर्तमान में मुरैना से सांसद अनूप मिश्रा ने इसके लिए प्रयास शुरू किए और एक हजार पलंगों वाले अस्पताल के लिए स्थान चिन्हित कर प्रस्ताव तैयार कराया। जिसकी स्वाकृति मिलते ही श्री मिश्रा एवं मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 4 नबम्वर 2009 में नए अस्पताल के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया। लेकिन राजनीतिक दांव-पेच के चलते आज तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका है।
एक शताब्दी से अधिक पुरानी है इमारत
जयारोग्य अस्पताल की इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण सन् 1898 में किया गया था। इस इमारत को असुरक्षित घोषित करने वाले लोकनिर्माण विभाग का कहना है कि इमारत के निर्माण में स्थानीय चूना पत्थर का उपयोग किया गया था। इमारत में फंसे पत्थर भी अपनी जगह छोड़ चुके हैं। विभाग ने यह भी कहा है कि जिन दीवारों में कोई ठोस चिनाई नहीं है, पत्थरों में 2 से 5 एम.एम. तक की दरारें आ चुकी हैं। जिसके कारण यह इमारत कभी भी ढह सकती है। ग्वालियर में मध्यभारत का पहला सबसे आधुनिक अस्पताल जयारोग्य चिकित्सालय ही था। वर्ष 1898 में 450 बिस्तर का यह अस्पताल देश के लिए रोल मॉडल बन गया था। छोटी-बड़ी रियासतों के राजा-महाराजाओं से लेकर आम जनता व अंग्रेज अधिकारी भी यहां इलाज के लिए आते थे। दिल्ली, मुंबई, इंदौर व भोपाल से रेल-बस व हवाई जहाज की सुविधा ने उस जमाने में ग्वालियर को मेडीकल हब बना दिया था। लेकिन आज उसी अस्पताल की ऐतिहासिक इमारत इतनी गंभीर स्थिति में पहुंच गई है।
सभी को है नए अस्पताल के निर्माण का इंतजार
अस्पताल प्रबंधन के साथ ही यहां पदस्थ चिकित्सकों और अन्य स्टाफ को भी एक हजार पलंग वाले अस्पताल के निर्माण का इतंजार है। चिकित्सकों का कहना है कि अस्पताल एक शताब्दी से भी अधिक पुराना हो चुका हैं। उन्हें भी मरीजों को उपचार देने में कई परेशानियां आती हैं। जिस समय यह अस्पताल बना था, उस समय इतने भी मरीज नहीं आते थे लेकिन वर्तमान में अस्पताल में मरीजों की संख्या इतनी अधिक बढ़ गई है कि पर्याप्त पलंग भी नहीं हैं और कई मरीजों को तो फर्श पर ही लिटाकर उपचार करना पड़ता है।
इनका कहना है
नए अस्पताल के निर्माण के लिए जो पहले 16.80 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई थी, लेकिन बाद में अस्पताल इसे बढ़ा कर 268 करोड़ कर दिया गया। इससे सम्बन्धित फाइल मुख्य सचिव के पास पहुंच गई है। शीघ्र ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो सकता है।
डॉ. कमल भदौरिया, सहायक, अधीक्षक
जयारोग्य चिकित्सालय समूह
एक हजार पलंग वाले अस्ताल के निर्माण के लिए भूमिपूजन हुए छह वर्ष से अधिक समय हो चुका है। लेकिन आज तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका। जबकि लोक निर्माण विभाग वर्तमान भवना को कंडम घोषित कर दिया गया हैं। इस भवन में नव निर्माण भी नहीं किया जा सकता। आए दिन मरीजों को लिफ्ट खराब होने के चलते काफी परेशान होना पड़ता है।
डॉ. आर.के.एस धाकड़
सहायक प्राध्यापक, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय
वर्तमान भवन का निर्माण जिस समय हुआ था, तब अस्पताल में इतनी अधिक संख्या में मरीज नहीं आते थे। लेकिन आज मरीजों की संख्या बहुत बढ़ गई है। मरीजों को भर्ती करने तक के लिए पलंग नहीं बचते। यदि नया अस्पताल बन जाए तो मरीजों की भी समस्याएं कम होंगी और उन्हें बेहतर उपचार मिल सकेगा।
डॉ. अचल गुप्ता
विभागाध्यक्ष, सर्जरी
नए अस्पताल के निर्माण सम्बन्धी फाइल में कुछ कमियां थीं, जो एआरएमसी से पूरी करने के लिए भेजी थीं। अब इन सभी कमियों को दूर कर दिया गया है। जल्द से जल्द अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
डॉ. जी.एस. पटेल, डीएमई
एक हजार पंलग के अस्पताल का शुभारंभ मैने ही किया था। उसी समय इसके लिए बजट व अन्य व्यवस्थाएं किस प्रकार से होंगी सभी कुछ तय हो गया था। मेरे त्यागपत्र देने के बाद इसका काम कहां और कैसे रुक गया। जबकि इसके बाद दतिया, शिवपुरी आदि स्थानों पर चिकित्सा महाविद्यालयों के शुभारंभ किए गए लेकिन यह काम आज भी रुका हुआ है। इसके पीछे कोई भी कारण रहे हों लेकिन इससे ग्वालियर का नुकसान हो रहा है जो कि ठीक नहीं है।
अनूप मिश्रा, सांसद व तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री, मप्र शासन
एक हजार पलंग अस्पताल के निर्माण कार्य की प्रक्रिया जारी है। इसे शीघ्र शुरू किया जाएगा।
डॉ. नरोत्तम मिश्रा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, मप्र शासन
