पढ़ाई छोड़ छात्रवृत्ति में लगा पूरा अमला

*आईडी के फेर में अटकी सैकड़ों बच्चों की छात्रवृत्ति
*नगर निगम प्रशासन नहीं ले रहा आईडी बनाने में रुचि
ग्वालियर। स्कूल शिक्षा विभाग का लगभग पूरा अमला पिछले काफी समय से बच्चों की मैपिंग और छात्रवृत्ति स्वीकृति के कार्य में लगा हुआ है। इसके चलते पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो रही है। बावजूद इसके परिवार आईडी के अभाव में सैकड़ों छात्रों की छात्रवृत्ति अटकी पड़ी है। हालांकि बच्चों की आईडी बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है, लेकिन निगम अधिकारी व कर्मचारी इसमें कोई रुचि नहीं ले रहे हैं।
छात्रवृत्ति के लिए कक्षा एक से बारहवीं तक के छात्रों की आईडी बनवाने से लेकर बैंक में खाता खुलवाने और जाति प्रमाण-पत्र बनाने तक की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की है, बच्चे के परिजनों की कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है। ऐसे में विभाग का पूरा अमला इसी कार्य में लगा हुआ है। इससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर अन्य विभागीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
विभागीय सूत्रों के अनुसार छात्रवृत्ति वितरण कार्य में सबसे बड़ी समस्या परिवार आईडी की है क्योंकि कई परिवारों के पास राशनकार्ड ही नहीं हैं और राशनकार्ड के बिना परिवार आईडी बन नहीं सकती। हालांकि बच्चों की परिवार आईडी बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम के बार्ड कार्यालयों को सौंपी गई है, लेकिन इन कार्यालयों के अधिकारी व कर्मचारी इसमें कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे में यदि कोई बच्चा छात्रवृत्ति से वंचित रह जाता है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन परिवारों के पास राशनकार्ड नहीं है, उनके तत्काल राशनकार्ड बनाकर उनकी परिवार आईडी बनाई जाना चाहिए। यदि राशनकार्ड बनाना संभव नहीं है तो उनके निवास प्रमाण-पत्र का सत्यापन कराकर भी परिवार आईडी बनाई जा सकती है, ताकि कोई भी पात्र बच्चा छात्रवृत्ति से वंचित न रहे।
आज होगी छात्रवृत्ति की समीक्षा
जानकारी के अनुसार आयुक्त लोक शिक्षण डी.डी. अग्रवाल छह दिसम्बर बुधवार को दोपहर डेढ़ बजे से वीडियो कॉन्फें्रस के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों की छात्रवृत्ति वितरण की समीक्षा करेंगे। उल्लेखनीय है कि श्री अग्रवाल ने हाल ही में छात्रवृत्ति कार्य में लगे सभी अधिकारी व कर्मचारियों से पांच जनवरी तक छात्रवृत्ति वितरण का कार्य शत प्रतिशत पूर्ण करने की चेतावनी दी थी, लेकिन ग्वालियर जिले में छात्रवृत्ति स्वीकृति और मैपिंग का कार्य अभी तक महज 90 फीसदी ही पूर्ण हो पाया है। ऐसे में संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।

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