बीसीसीआई से राजनेताओं को दूर रखा जाएः लोढ़ा

बीसीसीआई से राजनेताओं को दूर रखा जाएः लोढ़ा

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंटोर्ल बोर्ड (बीसीसीआई) में पारदर्शिता के लिए बनाई गई लोढ़ा समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि बीसीसीआई से राजनेताओं को दूर रखा जाए। समिति का मानना है कि फ्रांस के महान फुटबॉलर और अब यूएफा के दागी पूर्व अध्यक्ष माइकल प्लातिनी उदाहरण हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार के कारण फुटबॉल की छवि को खराब किया।
न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त आर एम लोढ़ा ने बताया कि हमने अपनी रिपोर्ट में बीसीसीआई से राजनेताओं को दूर करने की सिफारिश की है। बीसीसीआई का कोई भी पदाधिकारी मंत्री या सरकारी नौकर नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि आईपीएल और बीसीसीआई के लिए अलग-अलग संचालन संस्थाएं बने और प्रत्येक राज्य से एक संघ को ही पूर्ण सदस्य बनाया जाए।
इससे पहले, तीन सदस्यीय वाली समिति न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर एम लोढ़ा, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक भान और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरवी रवींद्रन ने अपनी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय में सौंपी। लोढ़ा समिति ने रेलवे, सेना और विश्वविद्यालय संघों को केवल एसोसिएट सदस्य बनाने की भी सिफारिश की। उन्होंने कहा कि रेलवे, सेना और विश्वविद्यालय संघों को एसोसिएट सदस्य बनाया जाए और उन्हें मतदान करने से भी वंचित किया जाए। बीसीसीआई के चुनाव भी जल्द होने चाहिए और खिलाडि़यों के हितों का ध्यान रखा जाए।
आईपीएल गर्वनिंग काउंसलिंग में सदस्यों को शामिल करने की संख्या पर लोढ़ा का कहना है कि आईपीएल गर्वनिंग काउंसलिंग में नौ सदस्यों को शामिल करना चाहिए और खिलाडि़यों के लिए प्लेयर्स एसोसिएशन बनाया जाए। उन्होंने रिपोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बीसीसीआई के कामकाज में सुधार के लिए कमेटी ने 26 जनवरी 2015 से काम शुरू किया। पहली सुनवाई में अध्यक्ष, सचिव खुद पेश नहीं हुए। दोनों ने हमारे सवालों के जवाब भेजे। कमेटी ने बीसीसीआई के अधिकारियों से भी बात की। सुधार पर छह पूर्व कप्तानों और पूर्व खिलाड़ियों से भी बात की गई।

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