इस बार 15 को मनेगी मकर संक्रांति

र दो साल में बदलता है क्रम, अद्र्धरात्रि के बाद मकर में प्रवेश करेगा सूर्य
ग्वालियर। इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 को नहीं बल्कि 15 जनवरी को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ जुड़ा हुआ है। ज्योतिषाचार्य पं. सतीश सोनी ने बताया कि सूर्य 14 जनवरी को अद्र्धरात्रि के बाद 1.26 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस कारण संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को सूर्योदय से सायंकाल 5.26 मिनट तक रहेगा। इससे पूर्व 2008 में भी 14 जनवरी को अद्र्धरात्रि बाद 12.09 मिनट पर सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया था। उन्होंने बताया कि सूर्य जिस राशि पर स्थिर हो उसे छोड़कर जब दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उस काल विशेष को मकर संक्रांति कहते हैं।
हर दो साल में अंतर
मकर संक्रांति मनाए जाने का यह क्रम हर दो साल के अन्तराल में बदलता रहेगा। मकर संक्रांति 2017 व 2018 में वापस 14 जनवरी को व साल 2019 व 2020 में 15 जनवरी को मनाई जाएगी। श्री सोनी ने बताया कि मकर संक्रंाति से 12 राशियों पर प्रभाव भी पड़ेगा। जिसमें मेष को हानि, वृषभ को लाभ, मिथुन को ईष्ट सिद्धि, कर्क को धर्म लाभ, सिंह को कष्ट, कन्या को सम्मान, तुला को भय, वृश्चिक को ज्ञान वृद्धि, धनु को कलह, मकर को लाभ, कुंभ को संतोष, मीन को धन की प्राप्ति होगी।
मकर संक्रांति का महत्व
पौष माह में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। साथ ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है। यह भगवान सूर्य की आराधना का पर्व है। इस दिन पवित्र तीर्थों में स्नान और दान का काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन तीर्थों में स्नान और दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही रोगों का निवारण भी होता है, इसलिए इसे स्नानदान का पर्व भी कहा जाता है।

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