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जनमानस

पाकिस्तान के लिए तगड़ा सबक

जिस समय पाकिस्तान की बाचा खान विश्वविद्यालय में तालिबानी आतंकियों का हमला हो रहा था, उसी समय कश्मीर के पुलबामा में हिजबुल आतंकियों का हमला हुआ। उस समय मुठभेड़ में भारत के सुरक्षा बलों ने हिजबुल के कमांडर शारीक बट को मार डाला। दो आतंकी भागने में सफल हो गए। उस समय स्थानीय लोगों ने सुरक्षा बलों पर पथराव किया और पुलिस की एक गाड़ी आग के हवाले कर दी। जो लोग सुरक्षा बलों पर पथराव कर रहे थे, उनसे पूछा जा सकता है कि क्या वे आतंकियों की हिंसा की आग में कश्मीर को झोंकना चाहते हैं? ये वही तत्व है जो अलगाववादी हुर्रियत के उकसावे पर सुरक्षा बलों के खिलाफ पत्थर बरसाते है। ऐसे तत्व जो कश्मीर में पाकिस्तान के एजेंट की तरह अशांति पैदा करते है, जो अलगाव की मुहिम चलाते है और जो इस्लामी स्टेट के झंडे फहराते है। ऐसे तत्वों को अब कुचलना होगा। ऐसे लोगों को भारत की धरती पर रहने का अधिकार नहीं दिया जा सकता, जो कश्मीर के मुस्लिमों को भारत के खिलाफ भड़काते है। उन्हें समझ लेना चाहिए कि वे उसी आतंकी आग को भड़का कर स्वयं और अपने बच्चों को उसी आग में झोंकने का खेल खेल रहे है। यह खेल उनके लिए आत्मघाती है। अब पाकिस्तान को भी यह समझ में आ जाना चाहिए कि वे कश्मीर की बात करना छोड़ दे। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। यदि पाकिस्तान को अपने भविष्य की चिंता है और वह यदि अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखना चाहता है तो उसे अपने यहां के आतंकी नागों को कुचलना होगा। उन्हें वे अड्डे बंद करना होंगे, जहां ये जहरीले सांप तैयार होते हैं।

मनोज तिवारी

Updated : 25 Jan 2016 12:00 AM GMT
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