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जनमानस

कूटनीतिक सफलता


मोदी सरकार की इसे बड़ी कूटनीतिक सफलता ही माना जाएगा कि जो भारत कहता है उसी बात को अमेरिका भी कहने लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दो वर्ष के कार्यकाल में अमेरिका, रूस, जापान, आस्ट्रेलिया आदि देशों का प्रवास किया। चाहे राष्ट्रसंघ का मंच हो या शिखर वार्ताएं हो, इन सबमें हमारे प्रधानमंत्री ने आतंकवादी संगठनों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोकने की मांग की थी। कश्मीर के आतंकवाद को अमेरिका अलग प्रकार से परिभाषित करता रहा। प्रधानमंत्री ने हर अन्तर्राष्ट्रीय मंच से यह बात कही कि आतंकवाद, आतंकवाद होता है। इसके लिए दोहरा पैमाना नहीं हो सकता। अब अमेरिका ने भी श्री मोदी की बातों का न केवल समर्थन किया है वरन् उसके अनुसार कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी है। अब अमेरिका ने पश्चिमी देशों में बढ़ते आतंकियों के हमले के संदर्भ में पाकिस्तान से कहा है कि वह आतंकवादियों के आय के स्रोतों को बंद करे। आतंकवादियों के चंदा लेने की प्रक्रिया में भी रोक लगाने को कहा है। अमेरिका ने आतंकी संगठनों के नामों का भी उल्लेख किया है। फलाहू इंसानियत, गंज मदरे शाह, लश्करे तोएबा एवं जमाते उल दावा इन संगठनों के फंडिंग और चंदा लेने पर रोक लगाने का दबाव पाकिस्तान पर बनाया है। इस बारे में उल्लेख करना होगा कि अमेरिका की सहायता पर ही पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति टिकी हुई है। यदि अमेरिका के कहने के अनुसार पाकिस्तान व्यवहार नहीं हुआ, तो पाकिस्तान आर्थिक संकट से निपट नहीं सकता। यह भी स्पष्ट है कि अमेरिका की सलाह पाकिस्तान की सेना को मानना होगी, क्योंकि पाक सेना ही वहां की कूटनीति निर्धारित करती है।

अमित भारद्वाज

Updated : 2 Jan 2016 12:00 AM GMT
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