पहले बुन्देलखण्ड का विकास, फिर बुन्देलखण्ड राज्य

विकास के नाम पर बुन्देलखण्ड अभी तक है शून्य

दीपचन्द्र चौबे /झांसी। बुन्देलखण्ड के विकास के लिए सभी राजनैतिक दलों की सरकार अपने-अपने शासनकाल में विकास की बात करतीं हैं। लेकिन जब कार्यकाल पूरा हो जाता है तो विकास के अधूरे कार्यों पर दूसरी पार्टी सत्त्ता में आने पर उस कार्य को नये सिरे से शुरु कराती है। यद्यपि पिछली सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर विकास कार्य की योजना में लगाये थे। लेकिन उस कार्य पर विराम देकर नये कार्य पर फिर करोड़ों रुपये खर्च करने की पहल शुरु हो जाती है। लेकिन विकास के नाम पर बुन्देलखण्ड अभी भी शून्य की स्थिति में बना हुआ है।
किसानों, नौजवानों की बात करने वाली राजनैतिक पार्टियां व सत्ता वाली पार्टी ने कई योजनाओं को नये रुप दिए हैं। लेकिन इन योजनाओं का लाभ किसानों व नौजवानों तक नहीं पहुंच पाता। कुछ मुट्ठी भर लोग चंद पैसे देकर सरकार की चुनिंदा योजनाओं को हथियाकर उनका लाभ उठाते हैं। जबकि गरीबों के लिए सरकार राशन देने का कार्य करती है। लेकिन इस राशन को भी चुराकर महंगें दामों में बेच दिया जाता है। स्थिति यह है कि गरीब इस महंगाई में दो वक्त की रोटी के लिए पैसा नहीं कमा पा रहे।
सत्ता में आने के बाद राजनैतिक पार्टियां यह भूल जाती हैं कि इन गरीबों के वोटों से उनकी सरकार बनी है और उनसे वादे किए गये थे कि उन्हें रोटी, कपड़ा और मकान दिया जाएगा। लेकिन हालात यह हैं कि गरीबों का अन्न छीना जा रहा है। वहीं किसान भुखमरी की कगार पर है। किसानों की जमीनें भूमाफियाओं के कब्जे में हैं। किसान बैंकों के कर्जदार हैं।
वहीं कई बेरोजगार नौजवान चाय-पान की दुकान व ठेले चला रहे हैं। बुन्देलखण्ड के विकास की बात करने वाली राजनैतिक पार्टियां बुन्देलखण्ड को बुन्देलखण्ड राज्य बनाने की मांग कर रही हैं। लेकिन बुन्देलखण्ड के किसान व नौजवानों के हालातों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। किसान सूखे के कारण अन्य प्रदेशों के लिये पलायन कर रहा है। यहीं हालात नौजवानों के हैं। रोजगार नहीं मिलने के कारण परेशान होकर वह गलत कदम उठा रहे हैं। गरीबों के हालात यह हैं कि भूख के कारण आत्महत्या तक कर रहे हैं।
इस तरह बढ़ती महंगाई बुन्देलखण्ड के विकास के लिए कलंक साबित हो रही है। बुन्देलखण्ड विकास का क्षेत्र माना जाता था। लेकिन आज बुन्देलखण्ड की जमीनों पर भूमाफियाओं ने कब्जे कर रखे हैं। जहां बड़ी-बड़ी कालौनियां बन रही हैं। गरीबों के लिये मकान देेने की बात सरकारें करती हैं लेकिन उनको मकान मिलने के बाद सरकार जाने पर उस पर दबंगों का कब्जा हो जाता है। गरीबों के इलाज के लिए अस्पतालों में नि:शुल्क दवायें व अन्य व्यवस्थाएं होने की बात कही जाती है लेकिन जब गरीब इलाज के लिये पहुंचते हैं तो देखा जाता है कि उनके इलाज के नाम पर पैसे वसूले जाते हैं व बाहर से मंगाने के लिए महंगी दवाएं लिखी जाती हैं। सरकार द्वारा दी गईं सारी सुविधाएं केवल दबंगों के हाथ जाती हैं। किसान, नौजवान व गरीब सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाता। वर्तमान सरकार ने गरीबों के लिए योजनाएं चलाईं। लेकिन इन योजनाओं का लाभ दलालों द्वारा रहीशों को दिलाया जा रहा है। झांसी महानगर की आबादी बढ़ती जा रही है और इस आबादी को लेकर शहर में स्मार्ट सिटी की भी चर्चा के साथ-साथ शहर स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है, लेकिन इस पहल के साथ-साथ विकास कार्यों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इसी तरह अन्य शहर जो बुन्देलखण्ड क्षेत्र में आते हैं उनके विकास पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो बुन्देलखण्ड राज्य की बात करने वाले पहले बुन्देलखण्ड के विकास की बात करें, जिससे कि किसान, नौजवान व गरीबों को कारोबार मिल सके।

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