Home > Archived > रेलवे स्टेशन पर बिक रहा है मौत का सामान!

रेलवे स्टेशन पर बिक रहा है मौत का सामान!

अवैध वेंडर खुलेआम बेच रहे हैं अमानक खाद्य सामग्री

सुरेश हिन्दुस्थानी /झांसी। नगर के रेलवे स्टेशन पर वर्तमान में मौत का सामान खुलेआम रूप से बिच रहा है। ऐसा इसलिए है कि रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर रेलवे के अलावा भी कुद लोग खाद्य सामग्री बेच रहे हैं। जिस पर रोक नहीं लगाई गई तो कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है।
प्राय: देखने में आता है कि रेलवे स्टेशनों पर जहर खुरानी के बढ़ते मामलों को देखकर रेलवे विभाग कुछ दिनों तक तो हरकत में रहता है, लेकिन जैसे जैसे दिन निकलते जाते हैं, वैसे ही रेल विभाग का यह अभियान धीमा पडऩे लगता है। इसी धीमे अभियान के चलते जहर खुरानी गिरोह के सदस्य सक्रिय होकर अपनी कार्यवाही को अंजाम देने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करते हैं और मौका पाते ही अपना सामान बेचने के लिए सक्रिय हो जाते हैं।लानकारी के अनुसार जिन टे्रनों में खान पान की सुविधा होती है, उन टे्रनों पर अवैध वेंडरों की संख्या कम देखी जाती है, लेकिन जिन ट्रेनों में पेंट्री कार नहीं होती, उन टे्रनों के आगमन पर यह अवैध वेंडर बहुतायत में अपना सामान बेचते देखे जा सकते हैं। रेलवे के अधिकारी अगर इसका ठीक ढंग से मुआयना करें तो असलियत सामने आ सकती है, लेकिन हालातों को देखकर ऐसा ही लगता है, उनके सामने हो रहे इस मौत के खेल को रोकने के लिए उनके पास समय का अभाव है या फिर किसी गंभीर हादसे की प्रतीक्षा में रेल विभाग आंख मूंदकर बैठा है।
प्राय: देखा जाता है कि जो ट्रेनें दिल्ली तरफ से आतीं हैं्र उन ट्रेनों में ऐसा कम दिखाई देता है, लेकिन जो टे्रनें उत्तरप्रदेश या बिहार के राज्यों से झांसी आतीं हैं, उनके आते ही अवैध वेंडर स्टेशन पर सक्रिय हो जाते हैं। कहा जाता है कि सामान्य श्रेणी के कोच में यात्रा करने वाले यात्री सस्ते खाने की ही तलाश करते हैं। यह अवैध वेंडर इन्हीं सामान्य कोच के आसपास ही अपना सामान बेचते दिखाई देते हैं।
सामान्य कोच के एक यात्री रामकिशोर से बातचीत करने पर पता चला कि वे लोग अपनी भूख मिटाने के लिए ही इन वेंडरों से सामान खरीदते हैं। उनका यह भी कहना था कि रेल विभाग दी गई खान पान की सुविधा के केन्द्र उनकी कोच से बहुत दूर होते हैं, वहां तक सामान लेने जाते समय उनकी टे्रन छूट सकती है। अगर उन्हें पर्याप्त समय मिल जाए तो वह भी सही खाद्य सामग्री खरीद सकते हैं। अगर ऐसा नहीं भी हो पाता तो रेलवे विभाग को सामान्य कोच तक अपने वेंडर पहुंचाना चाहिए, जिससे इस समस्या से निजात पाई जा सके।

Updated : 15 Jan 2016 12:00 AM GMT
Next Story
Share it
Top