20 माह बाद पकड़ में आई गलती

*2 मुख्य न्यायाधीश के आदेश का हुआ था उल्लंघन 2 न्यायालय ने दिया पुनर्विचार करने का निर्देश
*मामला मुन्नाभाई को मिली जमानत का

ग्वालियर। एक ओर जहां व्यापमं फर्जीवाड़े की जांच में एजेंसियों से चूक हुई है वहीं दूसरी ओर कुछ प्रकरणों की सुनवाई में भी अनजाने में चूक हुई हैं। ऐसी ही एक गलती सामने आते ही न्यायमूर्ति यूसी माहेश्वरी व न्यायमूर्ति एसके गुप्ता की युगलपीठ ने मुन्नाभाई की याचिका में दिए आदेश पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। हालांकि इस गलती को सामने आने में 20 माह का समय लग गया।
प्रकरण की जानकारी देते हुए उप-शासकीय अधिवक्ता अमित बंसल ने बताया कि 11 दिसम्बर 2013 को सत्र न्यायालय ने अब्दुल तब्बाब को चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। इस आदेश को चुनौती देते हुए अब्दुल ने उच्च न्यायालय में क्रिमिनल अपील प्रस्तुत की। साथ ही जमानत पर छोड़े जाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जिसे न्यायमूर्ति शील नागू की एकलपीठ ने आठ मई 2014 को स्वीकार कर लिया। इसमें खास बात ये रही कि व्यापमं संबंधी मामला होने के बाद भी सुनवाई एकलपीठ में हुई जबकि मप्र के मुख्य न्यायाधीश ने फरवरी 2014 को अधिसूचना जारी की थी जिसमें ये स्पष्ट किया था कि व्यापमं संबंधी सभी मामलों की सुनवाई युगलपीठ में होगी। आज हुई सुनवाई में उच्च न्यायालय ने आठ मई 2014 को दिए आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए प्रकरण को एकलपीठ में भेज दिया है। अगली सुनवाई शुक्रवार को नियत की गई है।
डीलिंग एसिस्टेंट से मांगा स्पष्टीकरण
इस मामले में हुई चूक को न्यायालय ने काफी गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि वह डीलिंग एसिस्टेंट (डीए) से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगे। यहां बता दें कि पूर्व में भी व्यापमं फर्जीवाड़े के आरोपियों की जमानत याचिकाएं न्यायमूर्ति एसके पालो की एकलपीठ में सुनवाई के लिए लग गईं थी और उन मामलों में आरोपियों को जमानत भी मिल गई थी। हालांकि इस गलती को जल्द ही पकड़ लिया गया और आरोपियों को मिली जमानत निरस्त कर दी गई।
कौन है अब्दुल तब्बाब
उप्र के फर्रुखाबाद में रहने वाले अब्दुल तब्बाब को जुलाई 2009 में उस समय गिरफ्तार किया गया था जिस समय वह पद्मा विद्यालय में राकेश कुमार जाट के स्थान पर परीक्षा दे रहा था। हालांकि इस मामले में पुलिस ने शिकायत के आधार पर 17 अन्य को भी आरोपी बनाया था लेकिन साक्ष्यों के अभाव में उन्हें छोड़ दिया गया।
सीबीआई ने जवाब प्रस्तुत किया
व्यापमं फर्जीवाड़े के आरोपी विक्रम रमन की याचिका पर उच्च न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई हुई जिसमें उसने आरोप पत्र को निरस्त करने की मांग की है। सीबीआई को पूर्व में नोटिस जारी करते हुए इस संबंध में जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। आज हुई सुनवाई में सीबीआई के अभिभाषक सहायक महान्यायवादी विवेक खेड़कर ने बताया कि याची के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य एकत्रित किए गए हैं। वहीं जिस प्रकार का ये मामला है, उसमें बिना गवाही के आरोप पत्र को निरस्त नहीं किया जा सकता। श्री खेड़कर ने बताया कि याची पर 3/4 परीक्षा अधिनियम, 120(बी), 467,468, 471 के तहत आरोप लगाए गए हैं जबकि मामले की ट्रायल शुरू होना शेष है।
चालान प्रस्तुत करने की तैयारी में सीबीआई
पीजी छात्रा स्वाति सिंह के मामले में सीबीआई अतिशीघ्र चालान पेश कर सकती है। ऐसा बताया जा रहा है कि स्वाति सिंह के उस मामले में इसी माह चालान पेश कर दिया जाएगा जिसमें उस पर प्रियंका श्रीवास्तव के स्थान पर पीएमटी देने का आरोप है। इस मामले की अनुसंधान अधिकारी ने जांच लगभग पूरी कर ली है और दिल्ली में फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद अनुमति मिलते ही चालान पेश कर दिया जाएगा।

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