जनमानस
विभीषणों से घिरा देश
चाहे कितने भी अलर्ट हों, रेड या ग्रीन अलर्ट घोषित कर दिए जाएं, मगर पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से आने वाले आतंकियों को पकडऩा और इनके नेटवर्क को समूल नष्ट करना हम जैसे जटिल आबादी वाले देश के लिए असंभव है। बढ़ती बेरोजगारी में जातिगत आरक्षण आग में घी डालने का काम कर रहा है। सिस्टम इतना भ्रष्ट हो चुका है कि किसी भी महकमे में चपरासी से लेकर अध्यक्ष बनने तक का मार्ग भ्रष्टाचार के संसाधनों से सुसज्जित है। चंद रुपयों के लिए साधारण नागरिक ही नहीं, नेता तक गद्दारी कर रहे हैं। ऐसे में, भारत में छिपे घर के भेदियों को ढूंढऩा असंभव है।
शैलेन्द्रसिंह राजावत
Updated : 11 Jan 2016 12:00 AM GMT
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