नेताओं के नहीं कार्यकर्ताओं के बल पर बनेगा बुन्देलखण्ड राज्य
झांसी। बुन्देलखण्ड एकीकरण समिति के संस्थापक अध्यक्ष पूर्व सांसद डॉ.पं. विश्वनाथ शर्मा ने कहा कि राजनीति प्रधान देश अपने हिन्दुस्तान मेें एक कहावत चर्चित है कि सब तो कप्तान हैं मंगर आखिर सिपाही कौन है। उन्होने कहा कि उक्त कहावत यहां बुन्देलखण्ड निर्माण आंदोलन में सबसे सटीक बैठती है।
उन्होने बताया कि बुन्देलखण्ड निर्माण के महान कार्य में निर्माण मोर्चे, मुक्ति मोर्चे व अन्य संस्थायें लगी हुई हंैं पर लगता नहीं कि इन्होने कभी 4, 6 हजार लोगों की बड़ी रैली की हो या प्रस्तावित प्रांत में विभिन्न स्थानों पर 20, 30 रैलियां की हों। अब हो रहा है महाधिवेशन। उन्होने कहा कि जैसा अंदाज है इसके प्रचार व विज्ञापन पर ही लगभग 10 लाख रुपये व्यय हो रहे हैं। इतनी धनराशि से 8, 10 बच्चों को उच्च शिक्षा में सहायता मिल जाती। उन्होने कहा कि वैसे तो राजनीति में खुद को समझाना चाहिए। बाहर वालों को कोशिश की तो वे आपको ही समझा देंगे। उन्होने कहा कि इस मुद्दे पर एकीकरण समिति इस बार सीधा चुनाव लड़ेगी।
एक सवाल पर डॉ. विश्वनाथ शर्मा ने कहा कि मेरा कहना है कि आयोजकों के 50 से ऊपर फोटो छप चुके हैं, वैसे भी सब परिचित चेहरे हैं। उन्होने सवाल किया कि इन आयोजनों में कप्तानों की फौज तो है लेकिन आखिर सिपाही (कार्यकर्ता) कितने हैं।
उन्होने विभिन्न दलों के नेताओं से निवेदन किया कि वे अपना अलग-अलग दल बनाएं और अपने काम बताकर जनता के सामने जाएं तो कुछ असर अवश्य होगा। चुनाव में ही आपकी सेवाओं की असलियत सामने आएगी। जनता उन्हीं पर अलग से विश्वास करेगी जिनके प्रमाणित सार्वजनिक कार्य होंगे।
उन्होने कहा कि बसपा ने पृथक-पृथक बुन्देलखण्ड का प्रस्ताव विधानसभा में पास कर दिया था। सपा शुद्ध विरोध में है तथा भाजपा चुनाव के समय पक्ष में थी बाद में विरोध में है। एक अन्य सवाल पर डॉ.पं. विश्वनाथ शर्मा ने कहा कि पृथक बुन्देलखण्ड प्रांत के लिए केवल तीन व्यक्तियों ने कार्य किया है। पं. विश्वनाथ शर्मा ने 1970 में बुन्देलखण्ड एकीकरण समिति की स्थापना की 40, 50 बैठकें की करीब 20 साल कार्य मंद रहा और फिर जनहित के कार्यों के साथ मैदान में है। पर इस मुद्दे पर सीधे चुनाव में एकीकण समिति इस बार भाग लेगी। दूसरे भाई शंकर लाल मेहरोत्रा ने विश्वनाथ शर्मा के खाली समय मेें भीषण उद्यम परिश्रम किया। सैकड़ों बैठकें की, परंतु संगठन न बनाने और बड़े (धनी) आदमी होने के बाद भी जनहित के कार्यों के न करने से चुनाव में बुरी तरह परास्त हुए इससे आंदोलन को झकटका लगा। उन्होने कहा कि तीसरे राजा बुंदेला मुंबई निवासी ने बुन्देलखण्ड में कांग्रेस सांसद प्रत्याशी बनकर चुनाव हारे। बुंदेलखण्ड कांग्रेस बनाकर तुम वोट दो मैं राज्य दूंगा की दहाड़ लगाने वाले चुनाव लडऩे पर एक प्रतिशत भी वोट नहीं पा सके न अपने साथियों की जमानत बचा सके इससे आंदोलन को झटका लगा।
अब कुछ दिनों से वो मध्य प्रदेश क्षेत्र के बुन्देलखण्ड में फिर आ गए हैं और उन्होने घोषणा की है कि भाजपा की ओर से संगठन मजबूत करेंगे व प्रांत बनायेंगे।