जलवायु समस्या के निपटारे में टिकाऊ रहन-सहन सशक्त उपाय: जावड़ेकर
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नई दिल्ली। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए विश्व को टिकाऊ रहन-सहन के मुद्दे पर गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श करना चाहिए।
पेरिस में आयोजित सीओपी-21 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) बैठक में केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी से कुछ समाधान मिल सकते हैं, लेकिन इस वैश्विक समस्या के समाधान के लिए टिकाऊ रहन-सहन एक ऐसा उपाय है जिस पर विश्व को निश्चित तौर पर गंभीरतापूर्वक विचार-विमर्श करना चाहिए। हाल में जारी की गई अर्थ ओवरशूट रिपोर्ट की चर्चा करते हुए केन्द्रीय मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों को टिकाऊ बनाने के विकसित देशों में अपनाया गया रहन-सहन क्षणिक है और उनके रहन-सहन से जुड़ी मांगों की पूर्ति के लिए अन्य उपाय अपनाने होंगे। दूसरी ओर भारतीय रहन-सहन टिकाऊ है क्योंकि हम आवश्यकता आधारित उपभोग में विश्वास करते हैं और हमारा रहन-सहन अत्यधिक खर्चीले उपभोग के विरुद्ध है।
उन्होंने बताया कि भारत और अन्य विकासशील देश गरीबी उन्मूलन को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन गरीब की समस्या से बाहर निकालने के लिए वैश्विक देशों एवं संगठनों को विकासशील देशों को पर्याप्त कार्बन स्पेस देने की आवश्यकता है, ताकि हमारी सतत विकास की प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।
जानकारी हो कि गत 06-07 सितंबर को फ्रांस के राजधानी पेरिस में जलवायू परिवर्तन के मुद्दे पर सीओपी-21 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) की बैठक आयोजित की गई थी। इसमें भारत सहित कई विकसित एवं विकासशील देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस दौरान प्रकाश जावड़ेकर ने समान विचारों वाले विकासशील देशों के समूह के साथ यूनाइटेड किंगडम, अमरीका तथा जर्मनी के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें की।