प्याज जमाखोरों पर नहीं हो रही कार्रवाई

रसोई से लेकर होटल-ढाबों पर पड़ रहा इसका असर
भिण्ड। आसमान धू रही प्याज की कीमतों के चलते आमजन की रसोई से प्याज ओझल होती जा रही है। इसका असर सीधा खाने के जायके पर पड़ रहा है। जमाखोरों द्वारा इस अवसर का फायदा उठाकर प्याज का भंडारण कर मुनाफा खोरी की जा रही है। प्याज की बड़ती कीमतों के विरोध में जहां राजनीति की जा रही है। देश भर में शासन-प्रशासन ने जमाखोरों के खिलाफ अभियान छेड़कर कई हजार क्विंटल प्याज जब्त की है लेकिन भिण्ड जिले का प्रशासन एक प्याज के कतरे तक की जब्ती नहीं कर सका है।
क्यों नाकाम है प्रशासन
जमाखोरों के कब्जे से प्याज की जब्ती न करने की नियत से प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है। वहीं इसका पूरा लाभ जमाखोर उठा रहे हैं, बाजार में प्याज की आवक कम दर्शाकर व्यापारी इसके दाम बढ़ाए हुए हैं और कई लोग तो अब प्रशासन की कार्य प्रणाली के साथ सोच पर भी उंगलियां उठाने लगे हैं। जानकारों का कहना है जिला प्रशासन को पता ही नहीं है कि किन ठिकानों पर प्याज की जमाखोरी की गई है और अगर कार्यवाही की भी जाये तो किस रणनीति के तहत।
भ्रम फैलाकर बढ़ाए दाम
बाजार में प्याज की आवक कम दर्शाकर इस के दाम बढ़ाए गए है, जबकि महंगे दामों में पर्याप्त प्याज उपलब्ध हो रही है। ऐसे में कहीं से कहीं तक प्याज की कमी का आभास नहीं हो रहा फिर अचानक इतने दाम क्यों बढ़ाए गए है? इसकी अगर तह में जाएं तो पता लगता है कि जमाखोरी और सब्जी माफियाओं ने भ्रम जाल फैलाकर प्याज के दामों को आसमान छूने पर मजबूर कर दिया है।
होटल व ढाबों से प्याज गायब
प्याज के बढ़ते दामों ने लोगों की रसोई से न सिर्फ दूरी बढ़ा ली है, बल्कि होटल ढाबों पर भी लोगों को प्याज नहीं मिल रही है। इसका असर व्यापार पर पड़ रहा है। होटल, ढाबों के संचालकों की माने तो मंहगे दामों पर प्याज की खरीदकर व्यापार पर तो हो रहा है साथ ही सीमित मुनाफे में व्यापार करना मुश्किल हो गया है, इसलिए एकसुर में प्याज के जमाखोरों पर कार्रवाई की मांग होने लगी है।