जनमानस
सभी भारतीयों की मातृभाषा हिन्दी
किसी भी राजा ने अंग्रेजों की तरह पूरे विश्व में अपना साम्राज्य स्थापित नहीं किया, जिसके कारण उन्हीं अंग्रेजों ने पूरे विश्व को गुलाम बनाकर अंग्रेजी को चारों तरफ फैलाकर इसको अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बना दिया और हमारे भारतीय लोग जो आपस में जिस तरह लड़ते थे आज भी प्रान्त भाषावाद के नाम पर लड़ रहे है, आज सभी नेता हिन्दी की बात करते हैं, लेकिन आज भी मीडिया के सामने अंग्रेजी में बोलेंगे, भाषण भी अंग्रेजी में बोलेंगे। संसद में भी अंग्रेजी में बोलेंगे तथा हीरो भी यही करते हंै। खेल के खिलाड़ी भी यही करते है, जिसके कारण आज के युवा भी इसका अनुसरण करते हैं और आकर्षित होकर अंग्रेजी में बात करते है। शासन भी हिन्दी के बारे में बड़ी-बड़ी बाते करता हैं किन्तु आज ऐसे बहुत से कार्यालय है, जिनमें हिन्दी वर्ण अक्षरों के फार्म भी नहीं मिलते, जहां सरकार के दावे की पोल खुल जाती है, जब तक देश की १२५ करोड़ जनता हिन्दी को अपनी मातृभाषा नहीं मानती, तब तक हिन्दी की स्थिति सुधर नही सकती। दक्षिण भारत के लोग अंग्रेजी को सहर्ष स्वीकार करते हैं, किन्तु हिन्दी का विरोध करते हैं। वे आज भी आर्य एवं द्रविड़ में भेद समझ रहे हैं, जिसका फायदा उठाकर अंग्रेजों ने भारत पर राज किया। आज अंग्रेजी भाषा भी भारतीयों पर राज कर रही है।
भंवरलाल अटोलिया