'बरखा रानी' न श्रंृगार में दिखीं न मेघों की साड़ी में

सूखती फसलों को देख अन्नदाता की आंखों से बह रही अश्रुधारा


ग्वालियर। 'बरखा रानी आई कर सोलह श्रृंगार,आने से उसके छा गई बहार ही बहार। मेघों की काली साड़ी में लगी अति सुंदर,बिजली की पायल पहने वह मनहर।'
बरखा रानी पर किसी कवि द्वारा लिखी गईं यह पंक्तियां गलत साबित हो रही हैं। इस बार बरखा रानी न तो सोलह श्रृंगार में नजर आई, न ही मेघों की काली साड़ी में। बिजली की पायल पहनकर उसने न तो तट बंध तोड़े, न अमृत रूपी पानी की रसधार बरसाई। बरखा की बेरुखी से चहुंओर सूखे के हालात हैं। आसमान मेघ विहीन है तो सूरज बैरी हो गया है। वसुंधरा मई-जून की तरह तप रही है तो पारा 39 डिग्री पर पहुंच रहा है। पिछले 22 दिनों से आसमान से पानी की एक बूंद भले ही न गिरी हो, पर सूखती फसलों को देखकर अन्नदाता किसानों के बदन से पसीना और आंखों से अश्रुधारा जरूर बह रही है।
आधे सावन के बाद से ही अचानक बारिश धम जाने से हालात बेकाबू हो गए हैं। ऊपर से सूरज के उग्र तेवर और पछुआ हवाएं आग में घी डाल रही हैं। इससे खरीफ फसलों के साथ किसानों की उम्मीद भी सूख रही है। हालांकि जहां सिंचाई के साधन हैं, वहां किसान किसी भी तरह अपनी फसलों को बचाने की जुगत में जुटे हैं, लेकिन जहां सिंचाई के साधन नहीं हैं, वहां किसान सिर्फ आसमान की ओर ताक रहे हैं। असिंचित क्षेत्रों में खेतों की नमी खत्म हो चुकी है। तेज गर्मी के कारण धान और सोयाबीन के पौधे पीले पडऩे लगे हैं। यदि शीघ्र ही अनुकूल बारिश नहीं हुई तो फसलें चौपट हो जाएंगी। इसके बाद भी कड़ी धूप में पसीना बहाते हुए किसान उम्मीद के साथ खेतों में जुटे हैं।

शनै: शनै: गायब हो रही है खेतों से हरियाली
ग्वालियर जिले में जुलाई में जब अनुकूल बारिश हुई तो उत्साहित किसानों ने करीब 54 हजार हेक्टेयर में धान का रोपण कर दिया, लेकिन अब किसान अपनी इस गलती पर पश्चाताप के आंशू बहा रहे हैं। हालांकि वर्तमान में केवल धान व सोयाबीन की फसल को ही नहीं अपितु सभी फसलों को पानी की जरूरत है, लेकिन बारिश होने की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही। पिछले 22 दिनों से बारिश नहीं होने से धान व सोयाबीन की फसल पीली पडऩे लगी है तो अन्य फसलें भी सूखने लगी हैं। इस तरह शनै: शनै: खेतों से हरियाली गायब हो रही है। आधा सावन माह सूखा गुजरने और भादों में भी बारिश नहीं होने के कारण खेतों की मिट्टी सूख चुकी है। तेज धूप और पछुआ हवाओं से कई खेतों में दरारें भी पडऩे लगी हैं।


अब 39 डिग्री के करीब पहुंचा पारा

पिछले कुछ दिनों से सुबह होते ही सूरज के उग्र तेवर देखने को मिल रहे हैं। दोपहर में तेज धूप और उमस भरी गर्मी से पसीने से तरबतर आमजन बेचैन होने लगे हैं। सितम्बर का दसवां दिन सबसे गर्म साबित हुआ। स्थानीय मौसम विज्ञान केन्द्र के अनुसार गुरुवार को अधिकतम पारा गतरोज की अपेक्षा 0.5 डिग्री बढ़कर 38.9 डिग्री पर पहुंच गया, जो अपने औसत स्तर से 5.9 डिग्री अधिक है, लेकिन न्यूनतम तापमान गतरोज की अपेक्षा 1.8 डिग्री गिरावट के साथ 24.2 डिग्री दर्ज किया गया, जो अपने औसत स्तर से 0.1 डिग्री कम है। इसी प्रकार सुबह हवा में नमी 67 व शाम को 38 फीसदी दर्ज की गई, जो सामान्य से क्रमश: 08 व 2.7 फीसदी कम है। स्थानीय मौसम विज्ञान केन्द्र के अनुसार इससे पहले वर्ष 2009 में 29 सितम्बर को अधिकतम पारा 39.5 डिग्री दर्ज किया गया था। मौसम विज्ञानी अचानक बढ़े तापमान को उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बने एन्टी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन का असर बता रहे हैं। मौसम विज्ञानियों का पूर्वानुमान है कि आगामी दिनों में अधिकतम पारा 40 डिग्री तक जा सकता है।

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