पीपीपी मोड में निर्माण की है योजना, निजी हाथों में सौंपी जाएगी सरकारी जमीन
राज्य शासन ने सभी विभागों से मांगी खाली जमीन की जानकारी
दिनेश शर्मा / ग्वालियर। राज्य सरकार सभी विभागों के कार्यालयों के पास पड़ी अनुपयोगी अतिशेष भूमि निजी संस्थानों को सौंपने की तैयारी कर रही है। हालांकि निजी संस्थाएं इस भूमि का किस रूप में उपयोग करेंगी। यह अभी तय नहीं है। फिलहाल राज्य शासन ने जिला स्तर पर कार्यरत सभी विभागों के विभाग प्रमुखों को पत्र लिखकर कार्यालय परिसर में मौजूद अतिशेष भूमि और अनुपयोगी भवनों की जानकारी मांगी है। सूत्रों के अनुसार राज्य शासन ने यह कदम स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा मुख्यमंत्री को प्रस्तुत सुझाव पर अमल करते हुए उठाया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री दीपक जोशी ने जिला एवं विकासखंड स्तर पर स्थित कार्यालयों के पास खाली पड़ी अनुपयोगी अतिशेष भूमि और भवनों के पुनर्निर्माण में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी मोड) का उपयोग करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास भेजा है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है और उन्हीं के निर्देश पर सभी विभाग प्रमुखों से भूमि के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी गई है।
इसी क्रम में संचालक लोक शिक्षण राजेश जैन ने भी 15 जुलाई को मध्यप्रदेश के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर अतिशेष भूमि एवं अनुपयोगी भवनों के संबंध में जानकारी चाही है।
यह मांगी है जानकारी
संचालक लोक शिक्षण म.प्र. द्वारा विगत 15 जुलाई को जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि यह संभव है कि स्कूल शिक्षा विभाग के जिला व विकासखंड स्तर पर स्थित कार्यालयों के पास अनुपयोगी अतिशेष भूमि अथवा इनके भवनों के पुनर्निर्माण की आवश्यकता हो। इनके पुनर्निर्माण में राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा विभाग ने 'पीपीपी मोडÓ का उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है। इस उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों एवं कार्यालय परिसर की भूमि का पूर्ण विवरण आगामी 15 दिनों में आवश्यक रूप से उपलब्ध कराएं, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ग्वालियर द्वारा इस संबंध में जानकारी भेजना तो दूर अधिकारियों ने अब तक इस पत्र को देखा तक नहीं है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी सुभाषचन्द्र शर्मा का कहना है कि अभी उन्होंने उक्त पत्र को देखा नहीं है, लेकिन ग्वालियर जिले में जिला मुख्यालय से लेकर विकासखंड स्तर तक स्कूल शिक्षा विभाग के किसी भी कार्यालय में न तो अतिशेष भूमि है और न ही किसी कार्यालय भवन के पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। इस संबंध में वह शीघ्र ही जवाबी पत्र लिखकर संचालक लोक शिक्षण कार्यालय को वस्तु स्थिति से अवगत करा देंगे।
अभी तो चिन्हित की जा रही है अनुपयोगी भूमि
कार्यालयों की अनुपयोगी भूमि व भवनों की जानकारी केवल स्कूल शिक्षा विभाग से ही नहीं अपितु सभी विभागों से मांगी जा रही है। स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री के प्रस्ताव अनुसार फिलहाल अनुपयोगी भवन व अतिशेष भूमि चिन्हित की जा रही है। बाद में इस भूमि व भवन आदि का किस रूप में उपयोग होगा। इसका निर्णय शासन स्तर से होगा।
इन्होंने कहा
जिन जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा अभी तक अतिशेष भूमि व अनुपयोगी भवनों का विवरण नहीं भेजा गया है, उन्हें पुन: स्मरण पत्र भेजे जा रहे हैं।
पी.के. सिंह, संयुक्त संचालक (भवन शाखा)
लोक शिक्षण संचालनालय म.प्र. भोपाल