पाकिस्तान बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करे:संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में एक नाबालिग को फांसी दिये जाने की निंदा करते हुए कहा कि जब उसे हत्या का दोषी ठहराया गया था, तो वह महज 14 साल का था। इसलिए ऐसे मामलों में पाकिस्तान को बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों की अपील को दरकिनार करते हुए उम्र विवाद में फंसे शफाकत हुसैन को मंगलवार को कराची सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया गया था। शफाकत को एक बच्चे को अगवा कर उसकी हत्या करने के मामले में वर्ष 2004 में दोषी ठहराया गया था।
संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति के अध्यक्ष बेनयाम दावित मेजमुर ने एक ताजा बयान में कहा कि शफाकत हुसैन को फांसी पर चढ़ाना अफसोस जनक है और पाकिस्तान के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के विरूद्ध है।
हुसैन के वकीलों का कहना है कि जब उसे दोषी पाया गया था तब वह महज 14 साल का था। इतना ही नहीं उसका उत्पीड़न कर उससे एकबालिया कबूलनामा लिया गया था।
वहीं, पाक अधिकारियों के अनुसार इस बात का सबूत नहीं है कि जब उसे दोषी ठहराया गया था तब वह नाबालिग था। हुसैन को वर्ष 2004 में बच्चे की हत्या करने का दोषी ठहराया गया था।
मेजमूर ने कहा कि बाल अधिकार कन्वेंशन, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारी कन्वेंशन,जिन्हें पाकिस्तान ने अनुमोदित किया है, बिल्कुल स्पष्ट है। वहीं पाकिस्तान का कानून भी कहता है कि अपराध के समय जिस आरोपी की उम्र 18 साल से कम रही हो, उसे मृत्युदंड नहीं दिया जाना चाहिए।
बाल हिंसा पर महासचिव की विशेष प्रतिनिधि मार्टा सैंटोस ने कहा कि फांसी देना बिल्कुल ही दुखद है और बाल अधिकारों पर पाकिस्तान की प्रतिबद्धताओं के विरूद्ध है।