Home > Archived > जनमानस

जनमानस

केवल पढ़ाई ही क्यों, इलाज भी हो सरकारी


31 मई, 2014 को वेदप्रताप वैदिक ने 'सही दिशा देता मोदी का पहला हफ्ता' लेख में लिखा है कि ''क्या कोई माई का लाल इस देश में ऐसा है, जो सभी नागरिकों को समान शिक्षा, समान चिकित्सा और समान बिजली पानी दिलवा सके?'' लेख पढऩे के बाद लेखक ने वैदिक जी से अनुरोध किया कि यदि आप यह बात लगातार कहते रहेंगे तो शायद कोई 'माई का लाल' ऐसा करने की कोशिश करे। यह बात ऐसी नहीं है कि सिर्फ एक बार कहकर या लिखकर संतोष कर लिया जाये। मेरी राय में आपको इस शीर्षक पर लेख लिखना चाहिए। मुझे वैदिक जी का लेख तो पढऩे को नहीं मिला, लेकिन 20 अगस्त, 2015 के स्वदेश में प्रथम पृष्ठ पर छपे 'न्यायालय ने दी दिशा, अब बारी सरकार की', 'केवल पढ़ाई ही क्यों, इलाज भी हो सरकारी', लेख ने वैदिक जी से की गई अपेक्षा पूरी कर दी। भले ही कई समाचार-पत्रों ने पैमाने बदलकर तथाकथित सफलता के कीर्तिमान स्थापित कर लिये हों, लेकिन आज भी 'स्वदेश' को ही पत्रकारिता की प्रथम पाठशाला माना जाता है। वास्तव में इसी राष्ट्रवादी एवं समाजवादी सोच के माध्यम से ही 'सबका साथ - सबका विकास' की अवधारणा को फलीभूत किया जा सकता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक स्कूलों की दयनीय हालत को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने फैसले में कहा कि नौकरशाहों, नेताओं और अन्य उच्च पदों पर बैठे लोगों के बच्चे जब तक सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे, तब तक इन स्कूलों की दशा नहीं सुधरेगी। कमोवेश सरकारी स्कूलों की तरह ही सरकारी अस्पताल भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। जब तक हमारे नौकरशाह गांवों में रहना शुरू नहीं करेंगे, तब तक इन स्कूलों एवं अस्पतालों की स्थिति में सुधार होना बहुत ही मुश्किल है। हमें उन सभी नियमों एवं प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार करना होगा, जो हमारी श्रेष्ठ प्रतिभाओं को गांव में नहीं रख पा रहे हैं। सभी प्रशासनिक अधिकारियों का चयन संबंधित जिले से करने की व्यवस्था पर भी विचार किया जाना चाहिये। लोकसेवकों का चयन व्यक्ति द्वारा समाज में निभाई गई सकारात्मक भूमिका के आधार पर होना चाहिए, न कि सिर्फ एक परीक्षा के माध्यम से। जनहित में माननीय न्यायालय से भी एक कदम आगे बढ़कर सोचने के लिए स्वदेश परिवार को हार्दिक बधाई।

प्रो. एस.के. सिंह

Updated : 22 Aug 2015 12:00 AM GMT
Next Story
Top