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जनमानस

ब्रिटिश संसद को बधाई


हमारे महान खिलाड़ी हॉकी के जादूगर ध्यानचंद को भारत गौरव सम्मान प्रदान करने के लिए भारतीय खेल प्रेमियों की ओर से ब्रिटिश संसद को बधाई। भारत में स्वतंत्रता के साथ ही जैसा नेतृत्व आया। प्रजा भी यथा राजा होती चली गई। नियम विरुद्ध मुख्यमंत्री, राज्यपाल और प्रधानमंत्री तक बनाए गए। भारतरत्न जैसा प्रतिष्ठित सम्मान भ्रष्ट तरीकों से दिया जाता रहा। एक तरफ मालवीयजी, अटलजी जैसे महान लोग सम्मान के योग्य नहीं पाए गए, दूसरी ओर एक ही परिवार में तीन-तीन भारतरत्न ढूंढ लिए गए। 2014 में शुद्ध राजनीतिक लाभ के लिए सचिन को भारतरत्न दिया गया। वे इसके योग्य है, लेकिन ध्यानचंद के बाद सुखद आश्चर्य का विषय है कि जिस खिलाड़ी को हम सम्मान नहीं दे पाए, ब्रिटिश संसद ने उन्हें भारत गौरव सम्मान प्रदान किया। हम चूक गए। अटलजी, मालवीयजी के साथ ही हमें ध्यानचंद को भी सम्मान देना था। हमारे मूल्यांकन की शिथिल पद्धति से ही प्रतिभा पलायन होता रहा है। आशा है हम भूल सुधार करके भी ध्यानचंद को सम्मानित करेंगे।
हरिनारायण

Updated : 13 Aug 2015 12:00 AM GMT
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