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छात्रों से बचने विश्वविद्यालय ताले में

प्रशासनिक भवन में प्रवेश से रोका, कर्मचारी भी हो रहे हैं परेशान

ग्वालियर, विशेष संवाददाता। जीवाजी विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की परेशानियों का सामना करने की वजाय उससे बचने के रास्ते खोजना शुरू कर दिए हैं। इसके तहत ही प्रशासनिक अधिकारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के बाहर दोनों मुख्य दरवाजों पर ताला जड़ दिया है। इससे छात्र ही नहीं विश्वविद्यालय में अपने रोजमर्रा के काम से आने वाले अन्य महाविद्यालयों से जुड़े लोग भी खासे परेशान हो रहे हैं।
सोमवार को जब प्रशासनिक भवन का कामकाज शुरू हुआ और दोपहर 12 बजे जब लोगों की आवाजाही बढ़ी तो दोनों दरवाजों पर ताला जड़ा पाया गया। इतना ही नहीं, विस्तारित भवन में जाने वाले दरवाजे पर भी ताला जड़ा था। मजे की बात है कि अपरान्ह दो बजे जब गोपनीय विभाग में कार्यरत एक सेवानिवृत्त प्राचार्य ने जब सारा माजरा देखा तो वे अपना माथा ठोकते हुए वापस चले गए, जबकि दबंगों को देखते ही गार्ड भी सलाम ठोकने की मुद्रा में दिखे। अपने काम से प्रशासनिक भवन पहुंचने वालों के लिए दरवाजों पर तैनात गार्ड यह कहते हुए सुने गए कि अंदर अब कोई नहीं जा पाएगा। हां अगर कुलपति या कुलसचिव कहेंगे तो ताला खुल जाएगा।

इसलिए ताले में कैद हुए अधिकारी
नए शैक्षिक सत्र के दौरान इन दिनों छात्रों के सामने प्रवेश से लेकर अंकसूची, माइग्रेशन तथा आर्हता संबंधी परेशानी खड़ी हैं। सबसे बड़ी परेशानी उन छात्रों के सामने है, जिनके परीक्षा परिणाम कतिपय कारणों से रुके हुए हैं। ऐसे छात्रों की संख्या भी करीब दो हजार बताई गई है। इन्हीं छात्रों को कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, कुलाधिसचिव प्रो. आर.जे. राव, कुलसचिव आनन्द मिश्रा और परीक्षा नियंत्रक अविनाश तिवारी कोई भी जवाब देेने की स्थिति में नहीं हैं। छात्र जब अपने परीक्षा परिणाम के बारे में पूछते हैं तो यह अधिकारी बगलें झांकने लगते हैं। विश्वविद्यालय में संकायाध्यक्ष एवं कार्यपरिषद सदस्य की टिप्पणी थी कि प्रशासनिक भवन में बैठे अधिकारियों में छात्रों का सामना करने का साहस नहीं है, इसीलिए ताले का सहारा लेना पड़ा।

काउंटर पर भी समस्याएं
विश्वविद्यालय प्रशासन का तर्क है कि हमने छात्रों की समस्याएं सुलझाने के लिए मुख्य द्वार पर एक विशेष काउंटर (खिड़की) खोली है। यहां छात्रों की समस्याओं के आवेदन जमा कराए जा रहे हैं और नियत समय पर उन्हें सुलझाया जा रहा है। जब मौका देखा तो खिड़की पर भी लम्बी कतार थी और छात्र परेशान हो रहे थे। इसी कतार में शामिल कु. सारिका का कहना था कि वह पिछले दो घण्टे से यहां खड़ी है, लेकिन उसका नम्बर ही नहीं आ रहा। खिड़की पर बैठे कर्मचारी भी अलाली कर रहे हैं।
छात्र संगठन भी चुप
छात्रों के हिमायती होने का दम्भ भरने वाले छात्र संगठन भी इस मामले में चुप हैं। इक्का-दुक्का छात्र नेता जरूर विरोध करते दिख रहे हैं। सोमवार को ही भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन की विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष ने तालाबंदी के विरोध में प्रशासनिक भवन पर न सिर्फ नारेबाजी की बल्कि कुलसचिव को ज्ञापन भी सौंपा।

Updated : 28 July 2015 12:00 AM GMT
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