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जागरुकता से बचा सकते हैं बच्चों की जान

ग्वालियर। केवल दस्त रोग (डायरिया) से ही लगभग 11 प्रतिशत बच्चों की असमय मृत्यु हो जाती है। गर्मी के मौसम एवं वर्षाकाल में दस्त रोग होने की संभावना अधिक रहती है। विभागीय समन्वय से समुदाय में दस्त रोग से संबंधित जागरुकता का प्रचार-प्रसार कर असमय काल कलवित होने वाले बच्चों की जान बचाई जा सकती है। यह बातें सघन दस्त रोग नियंत्रण पखवाड़ा को प्रभावी ढंग से अंजाम देने के सिलसिले में आयोजित संभागीय कार्यशाला सह अंतरविभागीय समन्वय बैठक में विभागीय अधिकारियों को बताई गईं। तानसेन रेसीडेंसी में आयोजित कार्यशाला में संभागीय अपर आयुक्त अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि बाल मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा यह पखवाड़ा शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभागीय अमला यह भी सुनिश्चित करे कि सरकार की मंशा के अनुरूप जरूरतमंदों तक ओआरएस पहुंच जाए। संभागीय संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास एच.के. शर्मा ने कहा कि इस पखवाड़े की गतिविधियों को प्रभावी ढंग से अंजाम देने के लिए लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के मैदानी अमले के बीच बेहतर समन्व्य जरूरी है। कार्यशाला में संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. अर्चना शिंगवेकर भी उपस्थित थीं।

Updated : 23 July 2015 12:00 AM GMT
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