बारिश के पानी के संग्रहण में रुचि नहीं ले रहे अधिकारी

प्राचीन तालाबों की खुली मोरियों से निरंतर बह रहा है पानी

पिछोर/डबरा। प्राचीनकाल में बारिश के जल का संग्रहण करने एवं सिंचाई व पेयजल की आपूर्ति के लिए तालाब खुदवाए जाते थे। यह तालाब बारिश का जलसंग्रहण करने के साथ साथ भू जल में वृद्धि करते थे। आज भी यह तालाब भूजल स्तर की वृद्धि और सिंचाई प्रमुख स्त्रोत हो सकते हैं। लेकिन अधिकारी इनकी ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस कारण बारिस के मौसम में इन तालाबों से लाखों गैलन पानी प्रतिदिन बह जाता है।
पिछोर कस्बे में रियासतकालीन तीन विशाल तालाब हैं जिनकी ओर किसी का ध्यान नहीं है। जिसके चलते इन तालाबो में संग्रहित किए जाने वाला बारिश का पानी बहकर निकल रहा है। पिछोर कस्बे में रियासतकालीन कल्यान सागर, रानी सागर और परदेशी बली के पास वाला तालाब प्रमुख हैं, जो शासकीय अधिपत्य के है। इन तालाबों देखरेख की जिम्मेदारी नगर परिषद की है। इन तालाबों की मोरियों को प्रतिवर्ष बारिश शुरू होने के पूर्व बंद कर दिया जाता था। जिससे बारिश का पानी इन तालाबों में जमा हो जाता था। लेकिन इस बार इन तालाबों की मोरियां बंद नही की गई हैं जिसके कारण प्रतिदिन हजारों गैलन बारिश का पानी बहकर बाहर निकल रहा है। अब तक अंचल में लगभग 250 मिमी बारिश हो चुकी हैं। लेकिन तालाब में एक बूंद भी पानी संग्रहित नहीं हो पाया हैं। मोरिया बंद न किए जाने से यह स्थिति निर्मित हुई है।
हजार बीघा में होती हैं सिचाई
इन तीनों तालाबों से पिछोर के आसपास की लगभग एक हजार बीघा कृषि भूमि की सिंचाई की जाती है। बारिश के बाद आस पास के गांवों में पैदा की जाने वाली धान की फसल की सिंचाई के लिए इन तालाबों के पानी का उपयोग किया जाता है। इन तालाबों से प्रेमपुरा, भर्रौली, जंगीपुर, पिछोर के तीसरे भाग तथा वीरमढ़ाना गांव के कुछ भाग की सिंचाई की जाती हैं। लेकिन नगर परिषद द्वारा इस बार तालाबों की मोरियां बंद न करने से हजारों गैलन पानी अब तक बह चुका है।
भूजल स्तर बढ़ाते हैं यह तालाब
पिछोर कस्बे के आसपास स्थित यह तालाब विशाल क्षेत्र में फैल हुए हैं। जब इन तालाबों में बारिश का पानी जमा हो जाता है। तो इस पानी से भूमिगत जलस्तर में वृद्धि होती हैं जिससे आसपास के कुएं एंव भूमिगत जलस्त्रोत रिचार्ज हो जाते हैं। जिससे वर्ष भर भूमिगत जल स्त्रोतों से पानी मिलता रहता है। जिससे नगर की पेयजल व्यवस्था सुचारू रूप से चलती हैं। लेकिन इस वर्ष नगर परिषद की ध्यान इस ओर न होने से अब तक हजारों गैलन बारिश का पानी बहकर निकल गया है। जिससे भविष्य में सिंचाई के साथ पेयजल की समस्या उत्पन्न हो सकती हैं।

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