जनमानस
नालों के उफान के लिए हम स्वयं जिम्मेदार
नाला सफाई को लेकर जहां नगर निगम द्वारा लगातार दावे किए जा रहे हैं, लेकिन एक ही बारिश ने नगर निगम की पोल खोलकर रख दी है। घंटे भर की ही बारिश में जहां शहर की सड़कें तालाब बन जाती हैं वहीं यदि तीन चार घंटे अच्छी बारिश हो जाए तो शहर में हाहाकार मच जाता है। इसके लिए कौन दोषी है ? क्या केवल नगर निगम, नहीं इस स्थिति के लिए जितना दोषी हम नगर निगम को मानते हैं हम स्वयं भी उतने ही दोषी हैं क्योंकि हमने अपने घर के बाहर की नालियां पूरी तरह से ढक दी हैं तथा कई कई वर्षों तक उनकी सफाई नहीं होती है और वह चौक हो जाती हैं, जब थोड़ी सी भी बारिश हो जाती है तो नालियां उफान पर आ जाती हैं। इसी प्रकार नालों की स्थिति है अपने आस पास के नाले जहां से क्षेत्र के पानी की निकासी होती है उन नालों को हम कचरों से पाट देते हैं और फिर बारिश के समय नाले भरने पर हम इसका ठीकरा नगर निगम के सिर फोड़ देते हैं। बाकी रही सही कसर नगर निगम के कर्मचारी पूरी कर देते हैं, नालों की सफाई के लिए तैयारियां तो बारिश पूर्व हो जाती हैं तथा लाखों रुपए खर्च भी हो जाते हैं, लेकिन नाला सफाई के नाम पर बस खानापूॢत कर छोड़ दिया जाता है जिसका परिणाम शहर की जनता बारिश में भुगतती है।
अन्वेश गुप्ता, सिकंदर कंपू